इतिहास में पहली बार महिलाएं बनी पटवारी, पुरुषों से बेहतर निभा रही अपनी जिम्मेदारी

Edited By Updated: 06 Oct, 2016 04:10 PM

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महेन्द्रगढ़ के इतिहास में पहली बार दो महिलाएं पटवारी के पद पर नियुक्त हुई हैं। अभी तक इस पद पर पुरुषों का एकाधिकार था। पुरुषों के इस एकाधिकार...

महेन्द्रगढ़ (प्रदीप बालरोड़िया): महेन्द्रगढ़ के इतिहास में पहली बार दो महिलाएं पटवारी के पद पर नियुक्त हुई हैं। अभी तक इस पद पर पुरुषों का एकाधिकार था। पुरुषों के इस एकाधिकार क्षेत्र में कदम रख कर ये बेखुबी अपने काम को अंजाम दे रही है। लोग भी इनके काम से खुश है। 


बेटियां अाज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। पुरुषों के एकाधिकार वाले पटवारी पद पर भी अब बेटियां भी नियुक्त होने लगी है। यहां तक कहा गया कि पटवारी पर बहुत बड़ा जिम्मा होता है। जमीन के मामलों में बेहिसाब दबाव होता है। महेंद्रगढ़ तहसील के अंतर्गत दो महिला पटवारी पिछले सप्ताह ही नियुक्त होकर आई  हैं। राजनीति में एमफिल अमिता ने कहा गांवों में पटवारी ही सबकुछ होता है। गांव गंगाचया जाट निवासी अमिता रानी के पिता विजय सिंह की पालवास में दुकान है। 


एमए बीएड व राजनीति में एमफिल कर चुकी अमिता का कहना है कि जब वह स्कूल में पढ़ती थी तो डोमिसाइल बनवाने पटवार घर जाती थी तो वहां काफी भीड़ होती थी। ऐसा महसूस होता था कि पटवारी का पद भी बहुत बड़ा है। जहां तक इस नौकरी में मिलने वाली चुनौती का सवाल है तो वह ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों ने खुद पैदा की हुई है। उसे महेंद्रगढ़ ज्वाइन किए हुए 8 दिन हो गए हैं। पांच गांव उसके पास है। खूब इज्जत होती है,बस अपना काम ईमानदारी से करते चले जाइए। वहीं पटवारी के पद पर नियुक्त हुई रेनू का कहना है कि महिलाए आज पीछे नहीं है। पटवारी की नौकरी उसे अच्छी लगी तो फार्म अप्लाई किया और नौकरी मिल गई। 


पटवारी के पास गांवो की जमीनों का पूरा रिकॉर्ड होता है। पटवारी से लोगों को रिहायशी प्रमाण पत्र, जमीन की नकल, गिरदावरी , बैंक लोन सहित जमीनों से जुड़े अनेको कामों के लिए वास्ता पड़ता है। पहले पुरुष पटवारी कभी सीट मिलते तो कभी काम के लिए चक्कर कटवाते परन्तु जबसे महेन्द्रगढ़ में महिला पटवारी नियुक्त हुई है लोग भी उनके व्यवहार व् कार्यप्रणाली से खुश है। लोगों  के काम अब लटकते नहीं परन्तु जल्दी होने लगे है। महेन्द्रगढ़ में पटवारी बनकर पहली बार नियुक्त हुई महिलाओं के बारे में तहसीलदार दिनेश कुमार ने कहा कि ये नारी शक्ति का समय है। महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। पटवारी के पद पर नियुक्त होने के बाद इन्होंने अपने काम को बेखुदी निभाया है। ये पुरुषो के बराबर काम कर रहि है इन्होंने किसी तरह की छूट नहीं मांगी। 

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