Edited By Deepak Paul, Updated: 15 Jan, 2019 02:20 PM
स्कीम कार्यकत्र्ताओं के प्रांतीय सलाहकार एवं ए.आई.यू.टी.यू.सी. नेता कामरेड राजेंद्र सिंह ने सोमवार को आशा कार्यकत्र्ता यूनियन के कार्यकत्र्ताओं की मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पहली बार आशा, मिड-डे मील, आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता 28 जनवरी को...
रेवाड़ी(गंगाबिशन): स्कीम कार्यकत्र्ताओं के प्रांतीय सलाहकार एवं ए.आई.यू.टी.यू.सी. नेता कामरेड राजेंद्र सिंह ने सोमवार को आशा कार्यकत्र्ता यूनियन के कार्यकत्र्ताओं की मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पहली बार आशा, मिड-डे मील, आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता 28 जनवरी को दिल्ली रामलीला मैदान में लाखों की संख्या में इक_ा होकर ऐतिहासिक रैली करेंगी एवं प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित करेंगी। जिसमें सरकारी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन 21,000 रुपए लागू करने, पैंशन स्कीम लागू करने, सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दों समेत हर माह की 7 तारीख को मेहनताना एवं तमाम बकाया मेहनताना देने आदि मांगों की मांग की जाएगी। मीटिंग में रैली को लेकर रणनीति तैयार की।
का. राजेन्द्र ने कहा कि बड़े दुख का विषय है कि पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरला में सीटू वालों की राजनीतिक पार्टी सी.पी.आई.एम. की सरकार रही, केरला में आज भी है, इस सीटू वालों की सरकार ने स्कीम कार्यकत्र्ताओं के लिए कुछ भी नहीं किया। आज भी उन्हें हरियाणा, तेलंगाना एवं दिल्ली राज्यों से कम मानदेय दिया जाता है। का. सिंह ने कहा कि यह समझ से बाहर है जो पार्टियां शासन में आती हैं, वे स्कीम कार्यकत्र्ताओं का शोषण करती हैं और जब शासन से बाहर होती हैं तो स्कीम कार्यकत्र्ताओं की बोली बोलती हैं। उन्होंने कहा कि स्कीम कार्यकत्र्ताओं की कुल संख्या 65 लाख है जो देश के 19 करोड़ बच्चों की परवरिश करती हैं परंतु आज तक देश-प्रदेश में जिन दलों की सरकार बनी, वे सरकारें इन स्कीम कार्यकत्र्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की बात तो दूर उन्हें एक कुशल श्रमिक का दर्जा भी नहीं दे पाईं।