इंसाफ के लिए भटक रहा सेवानिवृत्त पुलिस जवान

Edited By kamal, Updated: 17 Mar, 2019 03:03 PM

retired police jawans wandering for justice

इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि जिस शख्स ने अपनी नौकरी के दौरान हमेशा लोगों को इंसाफ दिलाने...

पानीपत(संजीव नैन): इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि जिस शख्स ने अपनी नौकरी के दौरान हमेशा लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष किया यदि उसे ही रिटायरमैंट के बाद खुद इंसाफ के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं।ऐसी ही दुखभरी कहानी लेकर सी.आई.ए.-2 समालखा के ई.एस.आई./ए.एस.आई. पद से सेवानिवृत्त जवान रामफल निवासी मुडलाना शनिवार को एस.पी. कार्यालय पहुंचा। जहां फिलहाल उसकी एस.पी. से मुलाकात नहीं हो पाई है। जवान का कहना है कि सर्विस रिकार्ड में उसकी 43 गुड़ एंट्री हैं, जबकि कोई भी बैड एंट्री नहीं है। इतना ही नहीं उल्लेखनीय कार्यों के लिए उसे एस.पी. व आई.जी. से कई बार प्रशंसा पत्र भी मिल चुके हैं लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि मेहनत और ईमानदारी से नौकरी करने का आखिर में उसे ऐसा सिला मिलेगा।

गांव मुडलाना निवासी रामफल ने बताया कि वह वर्ष 1976 में 25 मई को सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था और करीब 43 साल तक पुलिस विभाग में सेवा करने के बाद वर्ष 2010 में 30 जून को सी.आई.ए.-2 समालखा के ई.एस.आई./ए.एस.आई. पद से सेवानिवृत्त हुआ है। इस दौरान उसने बस स्टैंड चौकी, थाना शहर, सी.आई.ए.-1, 2 व 3 में विभिन्न पदों पर रहते हुए अपने कार्य को पूरी मेहनत व ईमानदारी से किया है। उसके उल्लेखनीय कार्यों व सेवाओं को देखते हुए वर्ष 2001 में वह ए.एस.आई. के पद पर पदौन्नत भी हुआ है।

सेवा के दौरान ही वर्ष 2010 में जिले के कुछ ए.एस.आई. को सब-इंस्पैक्टर के पद पर पदोन्नति दी गई, लेकिन यह देखकर उसे हैरानी हुई कि 1 मई को रोहतक रेंज की जारी हुई लिस्ट में उसका नाम गायब था, जबकि उसके समकक्ष व उससे जूनियर जवानों को प्रमोशन मिली। मामले को लेकर वह आई.जी. रोहतक रेंज से भी मिला, लेकिन वहां भी उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बाद में उसने विभाग के आलाधिकारियों के पास काफी पत्र लिखे, परंतु उसे अभी तक इंसाफ नहीं मिल पाया है। हैरानी की बात तो यह है कि उसके द्वारा वर्ष 2018 में आर.टी.आई. के तहत मांगी गई सूचना भी एक वर्ष बीतने के बावजूद भी उपलब्ध नहीं करवाई गई है। 

पैसे की नहीं, सम्मान की लड़ाई : रामफल का कहना है कि उसकी रिटायरमैंट से 2 माह पहले रोहतक रेंज में ए.एस.आई. से सब-इंस्पैक्टर प्रमोट होने की जो लिस्ट जारी हुई थी नियमानुसार उसमें उसे पदोन्नति मिलनी चाहिए थी लेकिन विभाग की गलतियों की वजह से वह इससे वंचित रहा, जबकि जूनियर उससे आगे निकल गए। हालांकि इस प्रमोशन से पैंशन राशि में महज 600 रुपए महीने का ही इजाफा होता, लेकिन सवाल पैसे से ज्यादा सम्मान का है।

आर.टी.आई. में मिली विभाग की गलती : रामफल ने बताया कि उसने आर.टी.आई. के तहत 1 मई, 2010 को ए.एस.आई. से सब-इंस्पैक्टर बने जवानों की सूची मांगी तो खुलासा हुआ कि रिकार्ड में उसकी 2003 में ए.एस.आई. की प्रमोशन दिखाई गई है, जबकि वह 1 मई, 2001 को ही ए.एस.आई. बन गए थे। यदि सीनियोरिटी लिस्ट में उसका नाम सही होता तो वह भी रिटायरमैंट से 2 माह पहले हुई प्रमोशन में सब-इंस्पैक्टर बन जाते और सब-इंस्पैक्टर के पद से ही रिटायर होते। 

एक साल से पैंडिंग है अपील
रामफल ने बताया कि उसने पिछले साल आई.जी. रोहतक के पास लिखित अपील दायर करके मामले में कार्रवाई की मांग की थी लेकिन पिछले एक साल से उस पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है न ही उसे अभी तक यह बताया जा रहा है कि उसकी अपील का स्टेटस क्या है। हालांकि उसे कहीं से जानकारी मिली है कि उसकी अपील को लंबा समय होने के आधार पर रद्द कर दिया गया है, लेकिन अधिकारिक तौर पर यह अभी पैंङ्क्षडग है।

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