परी मामले में अंतिम फैसला उपायुक्त लेंगे

Edited By Updated: 07 Oct, 2015 11:04 PM

n pari case the final decision will commissioner

परी हमारी बेटी है, परी के लिए दर्द हमें भी है। लेकिन कानून की पालना करना भी हमारा कर्तव्य है, इसलिए परी को

पानीपत, (संदीप) : परी हमारी बेटी है, परी के लिए दर्द हमें भी है। लेकिन कानून की पालना करना भी हमारा कर्तव्य है, इसलिए परी को सिविल अस्पताल से अनाथालय में शिफ्ट करने के लिए उपायुक्त को पत्र लिखा गया है। अब परी के रहने के बारे में अंतिम फैसला उपायुक्त समीर पाल सरो को ही करना है। कुछ इन्हीं भावनाओं के साथ सिविल सर्जन इंद्र जीत सिंह धनखड ने परी को शिफ्ट करने के बारे में उपायुक्त को लिखे अपने पत्र का व्याख्यान टीम आवाज के सामने किया।

सिविल सर्जन डा. इंद्रजीत सिंह धनखंड द्वारा परी को अनाथालय में शिफ्ट करने के लिए उपायुक्त को पत्र लिखने के बाद से ही सामाजिक संस्थाओं में हचचल मची हुई है। सामाजिक संस्था टीम आवाज का कहना है कि वो परी के लिए उपायुक्त से मिलेंगे और अगर तब भी परी के लिए कोई हल नहीं निकला तो इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात करेंगे। 
परी को कुछ दिन और सिविल अस्पताल में ही रखने के लिए टीम आवाज के सदस्यों ने सिविल सर्जन डा. इंद्रजीत सिंह धनखंड के साथ मुलाकात की। डा. सिंह ने सामाजिक संस्था को पत्र लिखे जाने की वजह के बारे में बताते हुए कहा कि परी बिल्कुल स्वस्थ है। जहां अभी परी वहां सिर्फ बीमार बच्चों को ही रखा जा सकता है। इसलिए परी के स्वास्थ्य को लेकर यह जरूरी कदम है। सिविल सर्जन के साथ बैठक करने के लिए पहुंचे टीम आवाज के सदस्यों में दिवाकर मेहता, गौरव लिखा, ललित गोयल, निशा बंसल, सविता आर्य, निखिल, दीपक और राजू आदि मौजूद रहे।
 
इंद्राणी की डी.एन.ए. रिपोर्ट दो दिन में तो परी की क्यों नहीं
सिविल सर्जन से परी को सिविल अस्पताल में ही रखने के लिए अपील करने के लिए पहुंची टीम आवाज से सिविल सर्जन इंद्रजीत सिंह धनचखंड को विभिन्न तर्क दिये। टीम आवाज के सदस्यों का कहना था कि जब इंद्राणी और शीना मर्डर केस की आरोपी इंद्राणी के डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट मात्र दो दिन में ही पुलिस के हाथों में आ गई थी। अगर प्रशासन दिल से परी को जल्द मां की गोद दिलाना चाहे तो जल्द से जल्द परी और कविता की डीएनए रिपोर्ट मिल सकती है। लेकिन प्रशासन इसमें कुछ कम ही रूचि दिखा रहा है।
 
कहां गई परी की सुरक्षा
कुछ दिन पुलिस प्रशासन ने परी की सुरक्षा का ड्रामा किया। एक सिपाही को निहत्था परी के एसएनसीयू वार्ड के सामने खड़ा किया गया, ताकि परी से किसी को मिलने न दिया जा सके। जैसे ही अब परी का डीएनए टेस्ट हुआ, पुलिस प्रशासन ने परी से सुरक्षा छीन ली। पुलिस प्रशासन परी की सुरक्षा के मामले में इतनी बेपरवाह कैसे हो सकता है, जब परी मामला पूरे राज्य का हाईप्रोफाइल मामला है। अब परी की सुरक्षा में ठेकेदार का सुरक्षाकर्मी मौजूद है, जो सिर्फ नाम का ही है।
 
पूरी तरह से स्वस्थ
सिविल सर्जन इंद्रजीत सिंह धनखड ने कहा कि परी के लिए हमें पूरी संवेदनाएं हैं। परी हमारी भी बेटी है, परी के साथ जो हुआ उसका दुख सभी को है। लेकिन अब वह बड़ी हो चुकी है और पूरी तरह से स्वस्थ है। परी को अब भी वहीं पर रखा जा रहा है, जहां बीमार बच्चों को रखा जाता है। यह परी के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। अपने कर्तव्य के अनुसार हमारी ओर से उपायुक्त को पत्र लिखा गया है।

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