हरियाणा ने खर्च नहीं किया 70 फीसदी निर्भया फंड, आयाेग ने नोटिस जारी कर मांगी स्टेटस रिपोर्ट(VIDEO)

Edited By vinod kumar, Updated: 05 Dec, 2019 10:55 PM

एक तरफ जहां हरियाणा में महिला उत्पीडऩ की घटनाएं लगातार हो रही हैं, वहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा मुहैया करवाए गए निर्भया फंड को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के मामले में हरियाणा सरकार भी फिसड्डी रह गई है। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर...

करनाल(शर्मा): एक तरफ जहां हरियाणा में महिला उत्पीडऩ की घटनाएं लगातार हो रही हैं, वहीं महिलाओं की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा मुहैया करवाए गए निर्भया फंड को पूरी तरह से इस्तेमाल करने के मामले में हरियाणा सरकार भी फिसड्डी रह गई है। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर विपक्ष जहां सरकार की घेराबंदी कर रहा है, वहीं सरकार का दावा है कि जरूरत के अनुसार महिला सुरक्षा को लेकर कई योजना लागू की गई हैं और धरातल पर काम चल रहा है।  

हरियाणा में महिला जागरूकता पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में एक अप्रैल से लेकर एक जनवरी 2018 तक 13 अपराधिक श्रेणियों में 9196 मामले दर्ज हुए। दहेज उत्पीडऩ छेड़छाड़ व अपहरण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। जबकि दुष्कर्म के 1016 मामले दर्ज हुए। इसके साथ ही छेड़छाड़ के 2041, अपहरण के 2495 तथा दहेज उत्पीडऩ के 2735 मामले सामने आए। इतना ही नहीं महिला तस्करी के 13, अनैतिक व्यापार, बलात्कार की कोशिश के 155 और पलायन में बलात्कार के 131 मामले दर्ज किए गए। 

वर्ष 2019 में जनवरी से लेकर अक्तूबर तक महिलाओं के विरुद्ध 1396 बलात्कार की घटनाएं, 152 गैंगरेप, लगभग तीन हजार अपहरण और 15443 महिलाओं के विरुद्ध अपराध मामले दर्ज किए गए थे। इसके बावजूद निर्भया फंड को खर्च करने के मामले में हरियाणा पीछे है। केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा को इस मदद के तहत 16.71 करोड़ रुपए दिए गए, जिसमें से 6.6 करोड़ खर्च किए गए। अन्य धनराशि सरकार के पास पड़ी है। यह रिपोर्ट संसद में पेश होने के बाद अन्य राज्यों की तरह हरियाणा के संबंध में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करके स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

क्या है निर्भया फंड
दिल्ली में दिसंबर 2012 में हुए निर्भया गैंग रेप केस के बाद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए निर्भया फंड बनाया गया था। इस फंड के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अलावा अन्य मंत्रालय भी कई योजनाएं चलाते हैं। इसमें गृह मंत्रालय की 13, सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की चार, रेल मंत्रालय की दो और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और न्याय विभाग की एक-एक योजना शामिल है।

कैसे काम करता है निर्भया फंड
महिला एवं बाल विकास विभाग सचिव की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति निर्भया फंड के तहत सभी मंत्रालयों से मिलने वाले प्रस्तावों पर विचार करती है। शुरूआत में फंड जारी करने का अधिकार भी डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के पास था, लेकिन प्रक्रिया की जटिलता को देखते हुए यह अधिकार वित्त मंत्रालय को दे दिया गया। प्रस्तावों को स्वीकृत कर वित्त मंत्रालय के पास भेजती है जो इनके लिए निर्भया फंड के तहत फंड जारी करती है।

इनेलो विधायक अभय चौटाला ने कहा कि प्रदेश में भी महिलाओं के साथ दिन-प्रतिदिन अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है और उनके साथ जबरन और जिस्मानी घटनाएं बढऩे के कारण उनका जीना दूभर हो रहा है। साइबर सिटी नाम से जाने वाले गुरुग्राम में भी क्राइम दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। सरकार पहली कलम से मंत्रियों के भत्ते तो बढ़ा सकती है, परंतु प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए हरियाणा महिला आयोग को महज 90 लाख रुपए का बजट ही उपलब्ध करवाकर ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ दिया गया है। सीएम के अलावा 11 कैबिनेट मंत्रियों के भत्ते जोड़ें तो कुल राशि लगभग एक करोड़ 15 लाख रुपए बैठती है जो महिला आयोग के बजट से 20 फीसदी ज्यादा है।

निर्भया फंड को लेकर मांगी डिटेल
गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि निर्भया फंड को लेकर मैंने सारी डिटेल मांगी है। कितना पैसा आया किस तरीके से खर्च हुआ और जो बचा हुआ है उसको किस तरीके से खर्च किया जा सकता है। इसको लेकर बात हुई है। विभागीय अधिकारियों की रिपोर्ट आने के बाद इस विषय पर नई रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। हरियाणा सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से वचनबद्ध है। इसमें किसी तरह की कोताही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

जरूरत के अनुसार निर्भया फंड का किया जाता है इस्तेमाल
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा में ऐसी स्थिति नहीं है। जरूरत के अनुसार निर्भया फंड का इस्तेमाल किया जाता है। जहां इसकी जरूरत होती है, वहां इस्तेलाम किया जाता है और इसके बाद भी लगता कि कहीं जरूरत है तो सरकार उस पर काम करेगी। जिस जिले में जितने फंड की जरूरत होगी, उसके अनुसार फंड पहुंचाया जाएगा। हरियाणा सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए महिला पुलिस थानों की स्थापना की गई है। महिला पीसीआर भी चलाई जा रही हैं। हरियाणा प्रदेश में सबसे पहले सात वन स्टॉप सेंटर खोले गए हैं। जिनकी लगातार विस्तार किया जा रहा है।

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