हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री के वसीयत विवाद में कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Edited By Shivam, Updated: 03 Nov, 2018 07:52 PM

former chief minister s will dispute final decision from court

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चौधरी बंसीलाल के वसीयत विवाद में भिवानी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्व. बंसीलाल की वसीयत असली वारिस उनके पुत्र रणबीर महेन्द्रा को बताया है। इस फैसले की जानकारी रणबीर महेन्द्रा के वकील अविनाश...

भिवानी(अशोक भारद्वाज): शनिवार शाम भिवानी की जूनियर डिवीजन के सिविल जज आशुतोष द्वारा बहुचर्चित पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की वसीयत को लेकर अदालत ने अपना निर्णय सुनाया। न्यायाधीश ने चौ. बंसीलाल के ज्येष्ठ पुत्र रणबीर सिंह महेन्द्रा द्वारा प्रस्तुत पंजीकृत वसीयत को सही ठहराया। चौ. बंसीलाल की सम्पति को लेकर 24 अगस्त 2006 को स्वर्गीय बंसीलाल की पौत्री व चौधरी रणबीर सिंह की भतीजी श्रुति चौधरी ने परिवार के सदस्यों के खिलाफ याचिका दायर की थी। करीब 12 वर्ष तक अदालत में मामला चलने के बाद आज फैसला आया।

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चौधरी रणबीर सिंह महेन्द्रा की तरफ से पैरवी एडवोकेट अविनाश सरदाना ने की थी, जबकि श्रुति चौधरी की तरफ से एडवोकेट एसके गर्ग पैरवी कर रहे थे। चौ. बंसीलाल द्वारा 6 जून 2004 को अपनी मौत से पहले चंडीगढ़ में एक वसीयत पंजीकृत करवाई गई थी। जबकि श्रुति चौधरी ने इस वसीयत को अदालत में चुनौती देते हुए 14 जुलाई 2005 की एक वसीयत को पेश कर अदालत में मामला दायर किया था। करीब 12 वर्षों तक अदालत में मामला चला। देश के कई दिग्गज वकील भी इस मामले में अदालत में पेश हुए। चौ. बंसीलाल के निधन के बाद परिवार में सम्पति को लेकर विवाद शुरू हुआ था। 

चौ. बंसीलाल ने अपनी सम्पति को लेकर जो वसीयत तैयार कर पंजीकृत करवाई थी। उसी को अदालत में चुनौती दी गई थी। चौ. बंसीलाल के निधन के बाद उनकी पत्नि विद्या देवी ने चौ. बंसीलाल की विजय नगर स्थित निवास को चौ. बंसीलाल स्मृति स्थल बनाने के लिए ट्रस्ट बनाया था। शनिवार को फैसले के समय दोनों पक्षों के समर्थक अदालत के बाहर मौजूद थे। एतिहायत के तौर पर अदालत के बाहर पुलिस भी तैनात थी। रणबीर सिंह महेन्द्रा की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट अविनाश सरदाना के साथ फैसला सुनने के लिए वेदप्रकाश दलाल, नरेन्द्र शर्मा सहित अनेक अधिवक्ता मौजूद थे।

एडवोकेट अविनाश सरदाना जो कि चौधरी रणबीर महेन्द्रा की तरफ से वकील थे। उन्हेांने बताया कि चौधरी बंसीलाल ने 19 जुलाई 2005 को एक वसीयत बनाई थी। जो कि सब रजिस्ट्रार चंडीगढ़ से रजिस्टर्ड करवाई थी। जिसमें लिखा था कि उनके जाने के बाद श्रीमति विधा देवी को मालिक बनना था तथा वे चाहे तो वे ट्रस्ट भी बना सकते हैं। उनके जाने के बाद श्री मती विधा देवी ने चौधरी बंसीलाल मैमोरियल ट्रस्ट बनाने के लिए दे दी थी। जितनी भी जगह थी वह सारी की सारी ट्रस्ट को दे दी थी। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर श्रुति चौधरी ने एक दावा किया था जो कि 6 जून 2004 की वसीयत है। जो कि उनके पिता चौधरी सुरेन्द्र सिंह व उनके दादा चौधरी बंसीलाल की ज्वाईंट की है। वे इसकी मालिक हैं। अविनाश सरदाना ने बताया कि 2006 में यह केस शुरु हुआ था। उन्होंने बताया कि माननीय न्यायालय ने आज फैसला सुनाते हुए 2005 की वसीयत सही है तथा इसकी मालिक ट्रस्ट है।

इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के पुत्र रणबीर महेन्द्रा ने बताया कि आज न्यायालय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। उन्होंने बताया कि यह असत्य पर सत्य की जीत हुई है।

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गौरतलब है कि, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय चौधरी बंसीलाल के दो बेटे रणबीर महेन्द्रा और स्वर्गीय सुरेन्द्र सिंह चौधरी हैं। श्रुति चौधरी बंसीलाल की पोती हैं, सीएलपी लीडर किरण चौधरी व स्वर्गीय सुरेन्द्र सिंह चौधरी की बेटी हैं। श्रुति चौधरी भिवानी विधानसभा क्षेत्र से सांसद रह चुकी हैं।  

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