Edited By Rakhi Yadav, Updated: 31 Oct, 2018 10:38 AM
अब हरियाणा की अफसरशाही अपनी सम्पत्ति की जानकारी छिपा नहीं पाएगी। राज्य सूचना आयोग ने एक अहम फैसले में प्रदेश में कार्यरत सभी एच.सी.एस., एच.पी.एस. एवं राजपत्रित अधिकारियों की सम्पत्ति का विवरण पहली अप्रैल से ऑनलाइन ....
चंडीगढ़(पांडेय): अब हरियाणा की अफसरशाही अपनी सम्पत्ति की जानकारी छिपा नहीं पाएगी। राज्य सूचना आयोग ने एक अहम फैसले में प्रदेश में कार्यरत सभी एच.सी.एस., एच.पी.एस. एवं राजपत्रित अधिकारियों की सम्पत्ति का विवरण पहली अप्रैल से ऑनलाइन करने का आदेश दिया है। राज्य सिविल सेवा नियम-2016 की धारा-24 के तहत सभी अधिकारियों के लिए यह जानकारी देना अनिवार्य होगा और जानकारी न देने वाले अधिकारी के खिलाफ न केवल विभागीय कार्रवाई की जाएगी, बल्कि उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ए.सी.आर.) में भी एंट्री होगी।
राज्य सूचना आयोग की 2 सदस्यीय खंडपीठ ने यह फैसला मंगलवार को पौने 9 साल पुराने 4 बहुचर्चित मामलों का एक साथ निपटारा करते हुए दिया है। प्रदेश के वरिष्ठतम सूचना आयुक्तों हेमंत्री अत्री और शिवरमन गौड़ पर आधारित 2 सदस्यीय पीठ ने संबंधित विभागों को समयबद्ध ढंग से फैसला लागू करने का आदेश दिया है। गत 28 अक्तूबर को राज्य सूचना आयुक्तों की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव और डी.जी.पी. कार्यालयों के जन सूचना अधिकारियों व आर.टी.आई. एक्टिविस्ट पी.पी. कपूर का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मंगलवार को जारी आदेश में एन.आई.सी. को अधिकारियों की सम्पत्तियों का विवरण जारी करने के लिए नया पोर्टल अगले 100 दिनों के भीतर तैयार करने को कहा गया है। पहली मार्च से 31 मार्च के बीच प्रदेश के सभी राजपत्रित अधिकारियों की सम्पत्तियों का विवरण हरियाणा सिविल सेवा नियमावली 2016 की धारा-24 के तहत संबंधित विभागों में जमा करवाने के बाद पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा। ताकि आम लोग जिस भी अधिकारी की सम्पत्ति के बारे में जानकारी लेना चाहें, उन्हें घर बैठे ही आसानी से मुहैया हो सके। अपने फैसले में पीठ ने कहा है कि जब पंच से लेकर राष्ट्रपति और देश के सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस से लेकर हाईकोर्ट के न्यायाधीश तक अपनी सम्पत्तियों का विवरण जारी कर रहे हैं तो प्रदेश के राजपत्रित अधिकारियों को इससे छूट कैसे दी जा सकती है।