विकास के मामले में पिछड़ा 60 गांवों का मुख्य शहर बाबैन

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 16 Jul, 2018 12:33 PM

in the case of development the main city of the backward 60 villages

बाबैन क्षेत्र बदहाली पर आंसू बहा रहा है और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। बाबैन में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं लेकिन कोई ऐसा राजनीतिक मसीहा नहीं जो इनको दूर कर यहां की कायाकल्प ....

बाबैन(रामकुमार): बाबैन क्षेत्र बदहाली पर आंसू बहा रहा है और इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। बाबैन में आज अनेक समस्याएं मुंह बाएं खड़ी हैं लेकिन कोई ऐसा राजनीतिक मसीहा नहीं जो इनको दूर कर यहां की कायाकल्प कर सके। लम्बे समय से बाबैन क्षेत्र में विपक्षी पार्टियों का ही विधायक बनता आया था जिसका खमियाजा यहां की जनता कई सालों से झेलती आई है लेकिन इस बार केंद्र व प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकारें हैं और हर्ष की बात है कि बाबैन क्षेत्र के हलका लाडवा में आने से यहां का विधायक भी भाजपा से है और सांसद भी भाजपा का लेकिन जो उम्मीदें लोगों को विधायक व एम.पी. से होती हैं, वो सुविधाएं व विकास बाबैन क्षेत्र में नहीं मिला। यह करीब 60 गांवों का मुख्य शहर है।

बस स्टैंड की समस्या
बाबैन के लोगों की मुख्य समस्या जहां सुविधाजनक बस स्टैंड न होना है। बाबैन बाजार मुख्य लाडवा-शाहाबाद रोड व पिपली-बराड़ा रोड पर स्थित है और चारों ओर जाने वाली बसें रोड पर बाजार के बीच में ही खड़ी होकर सवारियां उतारती व चढ़ाती हैं। एक बस करीब 4-5 मिनट रोड पर खड़ी रहती है जिस कारण बाजारों में जाम लगता है। करीब 18 साल से इस बस स्टैंड पर कोई बस नहीं रूकी। यहां चारों ओर गंदगी का आलम है और करोड़ों की जमीन व लाखों का खर्च धूल फांक रहा है।
 

गल्र्स कालेज नहीं, छात्राएं परेशान
बाबैन में कोई गल्र्ज कालेज नहीं है और लड़कियों को मजबूरन अम्बाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर आदि बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। लड़कियां गर्मी-सर्दी व बरसात में सुबह करीब 6 बजे बाबैन के बराड़ा चौक पर बसों की इंतजार में खड़ी हो जाती हैं। बसें लाडवा व शाहाबाद की ओर से पहले ही खचाखच भरी होती हैं और लड़कियों को इन बसों की खिड़कियों पर लटककर संस्थान तक जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है।

पी.एच.सी. में सुविधाएं नगण्य
बाबैन के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मात्र एक डाक्टर की स्थायी नियुक्ति है लेकिन जिला चिकित्सा प्रशासन द्वारा लम्बे समय से इस डाक्टर की तैनाती भी लाडवा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की हुई है और ये चिकित्सक कभी ही बाबैन में सेवाएं दे पाता है। बाबैन में महिला चिकित्सक का पद करीब अढ़ाई साल से रिक्त है और लैब टैक्नीशियन भी कोई नहीं है। इस स्वास्थ्य केन्द्र में लोगों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है। इस केन्द्र में एकमात्र डैंटल चिकित्सक ही सारी गतिविधियां देखता है।

मूलभूत सुविधाएं नदारद
बाबैन में बरसाती व गंदे पानी की समस्या सबसे विकराल है। इसके आसपास कई पंचायती जोहड़ होते थे जिनमें पूरे गांव व शहर की कालोनियों का गंदा पानी जमा होता था लेकिन इन पंचायती जोहड़ों में बस स्टैंड, उप तहसील कार्यालय, पटवारखाना व सामुदायिक केंद्रों की इमारतें बनने से ज्यादा पानी के जमा होने का स्रोत नहीं रहा। इससे बरसाती व घरों का गंदा पानी नई अनाज मंडी व पिपली रोड पर जमा होता है और कालोनियों की गलियां व घरों के आगे पूरे चौमास जलमग्न रहती हैं। बाबैन में करीब 15,000 की आबादी है लेकिन यहां कोई पार्क नहीं है।
 

 
 

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