अनुसूचित जाति आरक्षण वर्गीकरण घोषणा के खिलाफ रोष

Edited By Isha, Updated: 26 Jun, 2019 11:32 AM

fury against scheduled caste classification

सी.एम. मनोहर लाल द्वारा अनुसूचित जाति आरक्षण वर्गीकरण घोषणा के खिलाफ रविदास समाज में रोष पनपने लगा है। इस घोषणा के तहत शिक्षण संस्थानों में दाखिले हेतु आरक्षण दिए जाने की घोषणा की गई है जिसमें एस.सी.-ए और बी का जिक्र

कुरुक्षेत्र  (ब्यूरो): सी.एम. मनोहर लाल द्वारा अनुसूचित जाति आरक्षण वर्गीकरण घोषणा के खिलाफ रविदास समाज में रोष पनपने लगा है। इस घोषणा के तहत शिक्षण संस्थानों में दाखिले हेतु आरक्षण दिए जाने की घोषणा की गई है जिसमें एस.सी.-ए और बी का जिक्र किया गया है मगर इसके विरोध में सुर उठने लगे हैं। यह कार्ड खेलने से एस.सी.-बी में रखी जातियों में रोष पनपने लगा है। इस मुद्दे को लेकर कुरुक्षेत्र की गुरु रविदास मंदिर एवं धर्मशाला सभा में समाज के लोगों की बैठक हुई।  इसमें इस फैसले के खिलाफ रणनीति बनाकर आंदोलन चलाने पर विचार-विमर्श किया गया। सभा के प्रधान रणपत राम ने कहा कि मनोहर लाल सरकार ने समाज को बांटने का काम किया है। सी.एम. ने समाज को खंडित करने वाला निर्णय लिया है जो समाजहित में नहीं है। 

सभा के कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश के अनुसार भजन लाल के कार्यकाल में भी हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति ए और बी वर्ग में विभाजित की थी जिसके विरोध में गुरु रविदास सभा कुरुक्षेत्र ने सी.डब्ल्यू.पी./ 10277 व अन्य सी.डब्ल्यू.पी. द्वारा वर्गीकरण की सूचना को चुनौती दी गई थी। इसकी सुनवाई करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने वर्गीकरण की अधिसूचना को खारिज कर दिया था। अब मनोहर लाल की भाजपा सरकार ने यह खेल खेला है जिसके विरोध में आवाज बुलंद की जाएगी। सभा कार्यकारिणी सदस्य डा. धर्मवीर सिंह लांग्यान ने कहा कि भाजपा सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री गुरु रविदास मंदिर एवं धर्मशाला सभा के उपप्रधान जरनैल सिंह रंगा ने बताया कि देश की सर्वोच्च अदालत ने ऐसे ही केस की सुनवाई करते हुए ई.वी. चिन्नईया बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश 5 नवम्बर, 2004 को (2005/ आई.एस.एस.सी. 294) ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में स्पष्ट किया था कि आरक्षण में आरक्षण नहीं होगा। 

हरियाणा सरकार के मुखिया द्वारा लिया यह फैसला गलत और समाज को बांटने वाला है। सी.एम. मनोहर लाल को अपने निर्णय पर पुनॢवचार कर इसे वापस लेना चाहिए।  सभा के सचिव ताराचंद ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से खारिज अधिसूचना का जिक्र करते हुए हरियाणा सरकार के मुखिया द्वारा लिए निर्णय को अनुचित ठहराया।  उन्होंने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवम्बर, 2004 में दिए निर्णय को आधार बना कर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था।  हाईकोर्ट ने 6 जुलाई, 2006 को निर्णय सुनाते हुए तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा जारी किए नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया था। इसके बाद हरियाणा की हुड्डïा सरकार ने भी अनुसूचित जाति के वर्गीकरण नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया।

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