गवर्नमैंट के प्रवेश बढ़ाने के तमाम दावे व योजनाएं नाकाम, सरकारी विद्यालयों में घटते जा रहे विद्यार्थी

Edited By kamal, Updated: 23 Mar, 2019 01:52 PM

failure of all claims and schemes to increase government admission student

सरकार चाहे प्रवेशोत्सव मनाए या सरकारी स्कूलों में विद्याॢथयों के प्रवेश बढ़ाने के लिए लुभावनी योजनाएं लागू करें...

कुरुक्षेत्र (खुंगर): सरकार चाहे प्रवेशोत्सव मनाए या सरकारी स्कूलों में विद्याॢथयों के प्रवेश बढ़ाने के लिए लुभावनी योजनाएं लागू करें लेकिन सरकारी स्कूलों में प्रत्येक साल विद्याॢथयों की घटती संख्या चिंताजनक है। विभागीय जानकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्याॢथयों की संख्या साल-दर-साल घटती जा रही है। स्कूलों व शिक्षकों के लिए यह अच्छे संकेत नहीं हैं। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट इस बात का आंकड़ों के साथ खुलासा कर रही है। 3 सालों में करीब 5 से 7 हजार विद्यार्थी सरकारी स्कूलों से घट गए हैं। अब सरकारी प्रक्रिया तथा शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की ओर देखा जाए तो यह शिक्षकों पर भी भारी पडऩे वाला है। 

विद्यार्थियों की संख्या घटने के साथ ही शिक्षकों के पदों में कटौती हो सकती है। विभागीय जानकारी के अनुसार रैशनेलाइजेशन होने के बाद कुरुक्षेत्र जिले में शिक्षकों के करीब 50 से 60 पदों पर इस बात का असर हो सकता है। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक कुरुक्षेत्र में वर्ष 2015 में सरकारी स्कूलों में 89,285 विद्यार्थी थे, जबकि प्राइवेट तथा सरकारी स्कूलों में 1,93,913 विद्यार्थी थे। वर्ष 2016 में सरकारी स्कूलों में 84,979 विद्यार्थी रह गए, जबकि सरकारी तथा प्राइवेट स्कूलों में कुल संख्या 1,94,972 हो गई। 

सरकारी स्कूलों में विद्याॢथयों की संख्या वर्ष 2017 में 83,669 पर पहुंच गई, जबकि सरकारी तथा प्राइवेट स्कूलों में विद्याॢथयों की कुल संख्या 1,98,121 पहुंच गई। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार सरकार वर्ष 2018-19 के आंकड़ों का विश्लेषण कर रही है। अगर विद्याॢथयों की संख्या घटती है तो इसका सबसे ज्यादा असर जे.बी.टी. पर पड़ेगा। 2 साल से सरकारी स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया पर भी गतिविधियां चल रही हैं। सरकार ने अपना नजला मान्यता प्राप्ति के नाम प्राइवेट स्कूलों पर गिराया है। 

सरकार ने चाहे सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की भांति सुविधाएं देने का दावा किया है लेकिन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों बलकार सिंह, राजकुमार, मनोज कुमार, वीना अरोड़ा, रजनी तथा शकुंतला इत्यादि का तर्क है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थी घटने का मुख्य कारण बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद न करना, कम उम्र में ही प्राइवेट स्कूलों द्वारा दाखिला दे देना, सरकारी स्कूलों में प्री-कक्षाएं शुरू न करना, वैन की सुविधा न होना है। शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं न होना मुख्य कारण है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझाया जाता है। शिक्षकों को स्वतंत्र रूप से पढ़ाने नहीं दिया जा रहा है। 3-4 तरीकों से पढ़ाया जा रहा है। इस कारण शिक्षा का स्तर नहीं उठ रहा।

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