Edited By Updated: 17 Mar, 2016 02:00 PM
अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला ने देश का गौरव बढ़ाया। उन्होंने अपने जीवन में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं।
करनाल: अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला ने देश का गौरव बढ़ाया। उन्होंने अपने जीवन में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। कल्पना ने न केवल अपनी कल्पना को साकार कर दिखाया, बल्कि दुनिया में एक अलग पहचान बनाई दे गई। भारत की कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल में 17 मार्च 1962 में हुआ था। वह एक पंजाबी हिंदू परिवार में पैदा हुई थी। कल्पना बचपन से ही ऊंची उड़ान भरने के सपने देखती थीं। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो मे सबसे छोटी थी। घर मे सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे।
कल्पना चावला की प्रारंभिक पढ़ाई करनाल के टैगोर स्कूल में हुई। कल्पना ने 1982 में चंडीगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री और 1984 से टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। 1988 में उन्होंने नासा के लिए काम करना शुरू किया। कल्पना जेआरडी टाटा (जो भारत के अग्रणी पायलट और उद्योगपति थे) से प्रभावित और प्रेरित थी। 1995 में नासा ने अंतरिक्ष यात्रा के लिए कल्पना चावला का चयन किया।
उन्होंने अंतरिक्ष की प्रथम उड़ान एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से संपन्न की। इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से 5 दिसंबर 1997 थी। अंतरिक्ष की पहली यात्रा के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं पूरी कीं। कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल कोलबिया से शुरू हुई। यह 16 दिन का अंतरिक्ष मिशन था, जो पूरी तरह से विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था। इस मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों ने 2 दिन काम किया था और 80 परिक्षण और प्रयोग सपन्न किए थे, लेकिन 01 फरवरी 2003 को कोलबिया स्पेस शटल लेंडिंग से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया और कल्पना के साथ बाकी सभी 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई। कल्पना आज भले ही हमारे बीच सदेह न हो लेकिन वह आज भी सबी के लिए मिसाल है।