Edited By Isha, Updated: 22 May, 2019 12:25 PM
गेहूं के अवशेषों के जलाए जाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ साथ हर रोज सड़क किनारे पेड़ों की हरियाली को आग डस रही है। किसानों को इस बात का भी नहीं पता होता कि आग कहां से लगी ओर कहां पहुंच
निसिंग (संजय): गेहूं के अवशेषों के जलाए जाने से पर्यावरण प्रदूषण के साथ साथ हर रोज सड़क किनारे पेड़ों की हरियाली को आग डस रही है। किसानों को इस बात का भी नहीं पता होता कि आग कहां से लगी ओर कहां पहुंच गई। किसानों को सुबह ही पता चलता है कि जब उनके खेतों के अवशेष जले पाते हैं।
इस आग के कारण वन विभाग के सड़क के किनारे खड़े पेड़ों का काफी नुक्सान हो रहा है। सड़क किनारे खेड़े पेड़ों में लगी आग से सड़क पर धुआं ही धुआं छाया रहता है। जिससे सड़क पर वाहन चालकों को सामने से कोई भी वाहन आता दिखाई नहीं देता जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। हालांकि वन विभाग के कर्मियों की ओर से आग लगाने वाले किसानों पर कोई कार्रवाई तो दूर की बात है बल्कि विभाग आंख बंद कर सोए हुए है।
एक तरफ तो प्रदेश सरकार की ओर से हरियाली को कायम रखने के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं लेकिन वे सिर्फ फाइल में ही दम तोड़ रही है। क्षेत्र में सड़क के दोनों ओर लगे वन विभाग के पेड़ों को इस आग से भारी नुक्सान हुआ है। कई पेड़ तो जलकर धरती पर गिर गए और कई गिरने के कगार पर हैं।