Edited By Deepak Paul, Updated: 24 Jan, 2019 12:56 PM
पिछले 15-20 सालों से घर-घर में जाकर कचरा उठा रहे हैं, जो पैसे मिलते हैं, उसी से घर का गुजारा होता है, बच्चों की फीस भी भरते हैं लेकिन ठेकेदार उन्हें नगर निगम की गाडिय़ों में कचरा नहीं डालने दे रहा है...
करनाल(सरोए): पिछले 15-20 सालों से घर-घर में जाकर कचरा उठा रहे हैं, जो पैसे मिलते हैं, उसी से घर का गुजारा होता है, बच्चों की फीस भी भरते हैं लेकिन ठेकेदार उन्हें नगर निगम की गाडिय़ों में कचरा नहीं डालने दे रहा है, आरोप है कि कचरा डालने के लिए प्रतिमाह एक निश्चित राशि मांगी जा रही है। अगर वे घरों से कचरा नहीं उठाएंगे तो उनके बच्चे तो भूखों मर जाएंगे। उनका छोटा मोटा काम भी छीन जाएगा।
इस काम में करीब 22 से 25 रेहड़ी वाले लगे हुए हैं लेकिन पिछले काफी दिनों से उनसे प्रति घर कचरा उठाने के लिए 25 रुपए की डिमांड की जा रही है, अगर पैसे नहीं दिए तो कचरा नहीं डालने दिया जाएगा। पैसे न देने के चलते सुबह से ही रेहडिय़ों में कचरा लदा हुआ है लेकिन कचरा गाड़ी में नहीं डालने दिया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा बार-बार परेशानी के चलते कई बार शिकायत दी गई। डी.सी. व कमिश्नर को भी मामले से अवगत कराया गया लेकिन अब तक कोई फायदा नहीं हुआ। अगर उनका काम ही छीन गया तो वे उनका तो परिवार ही भूखा मर जाएगा।
बेवजह परेशान न किया जाए
रेहड़ी वालों ने जिला प्रशासन से मांग की है जो वे काम पिछले 15 से 20 सालों से कर रहे है, उन्हें करने दिया जाए। कचरा डालने के लिए प्वाइंट दिया जाए या फिर ट्राली में कचरा डालने की परमिशन दी जाए। उन्हें पैसे देने के लिए बाध्य नहीं किया जाए। बेवजह उन्हें परेशान न किया जाए।