अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत में 996 मामले निपटाए

Edited By Deepak Paul, Updated: 09 Dec, 2018 02:24 PM

996 cases disposed in last national lok adalat

स्थानीय न्यायिक परिसर में इस वर्ष की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जिला सत्र एवं न्यायाधीश जगदीप जैन के मार्गदर्शन में किया गया। इस लोक अदालत में विभिन्न तरह के मामले रखे गए, जिनमें वाहन दुर्घटना, बैंक संबंधी, आपराधिक तथा बीमा कंपनी संबंधी,...

करनाल(पांडेय): स्थानीय न्यायिक परिसर में इस वर्ष की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जिला सत्र एवं न्यायाधीश जगदीप जैन के मार्गदर्शन में किया गया। इस लोक अदालत में विभिन्न तरह के मामले रखे गए, जिनमें वाहन दुर्घटना, बैंक संबंधी, आपराधिक तथा बीमा कंपनी संबंधी, वैवाहिक एवं पारिवारिक मामले शामिल थे। इस दौरान जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव हितेश गर्ग ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 21 बैंच बनाए गए थे, जिनमें मोटर वाहन दुर्घटना के लिए इंश्योरैंस कम्पनी से संबंधित 7 बैंच शामिल थे।
 

जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जगदीप जैन ने बताया कि इस लोक अदालत में कुल 2774 मामले रखे गए, जिनमें से 996 मामलों को मौके पर ही निपटारा कर दिया गया। इस लोक अदालत में रखे गए विभिन्न मामलों से सम्बंधित कुल 4 करोड़ 87 लाख 40 हजार 818 रुपए की राशि कम्पंशैसन के रूप में अवार्ड की गई। इनमें मोटर वाहन के 26 केसों का निपटारा किया गया तथा चैक बाऊंस के 187 केस निपटाए गए। लोक अदालत में वाहन दुर्घटना से संबंधित मामलों में 2 करोड़ 3 लाख 29 हजार रुपए की राशि कम्पंशैसन के रूप में अवार्ड की गई।

चैकबाऊंस के मामले में 3 करोड़ 29 लाख 30 हजार 628 रुपए की राशि के केसों को आपसी सहमति से निपटाया गया। उन्होंने बताया कि लोक अदालत का मकसद न्याय प्रक्रिया में तेजी लाना है जिससे लोगों को सुलभ और सरल तरीके से न्याय मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि लोक अदालत में निर्णय दोनों पक्षों की रजामंदी से किए जाते हैं। इसमें किसी प्रकार का कोई खर्च नहीं आता और संबंधित पक्षों की आपसी सहमति से हुए फैसलों के दृष्टिगत कहीं अपील-दलील नहीं होती। आपसी सहमति से करवाया समझौता इस लोक अदालत की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि 10 वर्ष से भी ज्यादा समय से लम्बित चले आ रहे करनाल के एक बहुचॢचत मामलों मेंं पार्टियों का फैमिली कोर्ट के प्रधान जिला न्यायाधीश अंशु शुक्ला की बैंच ने आपसी सहमति से समझौता करवाया। गौरतलब है कि 2008 से इन पार्टियों ने एक दूसरे पर 70 से अधिक फौजदारी और दीवानी मामले जोकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन थे,अब इस समझौते के बाद उन सभी मामलों का भी शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा हो गया।

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