गेहूं के भुगतान संबंधी दावे ठुस

Edited By kamal, Updated: 23 Apr, 2019 12:07 PM

wheat payment claims

एशिया की प्रमुख अनाज मंडी में हरियाणा सरकार की 2 अलग-अलग खरीद एजैंसी हैफेड व खाद्य एवं आपूॢत विभाग ने करोड़ों रुपए...

गुहला-चीका(पंकेस): एशिया की प्रमुख अनाज मंडी में हरियाणा सरकार की 2 अलग-अलग खरीद एजैंसी हैफेड व खाद्य एवं आपूर्त विभाग ने करोड़ों रुपए की गेहूं खरीद है और गेहूं का भुगतान 7 दिन के भीतर करना लाजिमी किया था। आश्चर्य की बात तो यह है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं खरीद हुए करीब 20 दिन हो गए लेकिन आज तक गेहूं के भुगतान की फूटी कोड़ी भी आढ़तियों के खाते में नहीं आई। हालांकि बाजार में पैसे की भारी किल्लत के चलते हर आम आदमी व किसान व मजदूर की निगाहें गेहूं के भुगतान पर ही टिकी हुई थी।

आढ़ती मोहन लाल, पुरुषोत्तम, नारायण सिंह, ईश्वर चंद, प्रमोद कुमार, शमशेर, मेवाराम, रतिराम, सुखबीर व किसानों ने बताया कि गेहूं का सीजन शुरू होने से पहले सरकार ने आई और जे. फार्म ऑन लाइन करने का ढिंढोरा जमकर पीटा था जिसका पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में भी विरोध किया गया था। सरकार ऑनलाइन मामले को लेकर अपना अडिय़ल रवैया अपनाए हुए थी और व्यापारियों ने हड़ताल भी की थी लेकिन फिर भी सरकार ने अपना अडिय़ल रवैया अपनाते हुए तमाम तामझाम ऑनलाइन कर 7 दिन के भीतर गेहूं का भुगतान करने का फरमान सुनाया था।

व्यापारियों ने कहा कि जब किसानों की फसल सीधे तौर पर बेची जाती थी तो तब भी भुगतान शीघ्र हो जाता था लेकिन ऑनलाइन हो जाने से भुगतान आज तक नहीं किया गया। लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि लोगों ने गेहूं का भुगतान नहीं किया तो आने वाले चुनावों में सरकार का डटकर विरोध करेंगे। 

खाद्य एवं आपूर्त विभाग का कथन
इस संबंध में खाद्य एवं आपूर्त विभाग के इंस्पैक्टर विनोद शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन आई फार्म और जे फार्म भरने को लेकर मार्किट कमेटी कार्यालय में कम्प्यूटर पर आढ़तियों द्वारा दिए गए बिलों को चढ़ाने में काफी गलियां की जा रही हैं जिस कारण दिए गए आई फार्मों की वापसी बार-बार की जा रही है। जैसे ही मार्कीट कमेटी की ओर से कम्प्यूटर में चढ़ाए गए आई. फार्मों की कमांड आती है तो उसे ऊपर भेज दिया जाएगा, तब जाकर शीघ्र भुगतान होगा। 

हैफेड अधिकारी का कथन...
इस संबंध में हैफेड मैनेजर शमशेर सिंह सैनी ने कहा कि भुगतान करना स्थानीय स्तर पर कोई भी अधिकार नहीं है। ये सब चंडीगढ़ से उच्चाधिकारियों द्वारा किया जाना है। आढ़तियों द्वारा दिए गए बिलों की डिटेल बनाकर भुगतान मांगा गया है। भुगतान आते ही आढ़तियों के खातों में कर दिया जाएगा।

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