क्लाइमेट चेंज जीवन स्तर को बुरी तरह प्रभावित करेगा

Edited By Deepak Paul, Updated: 07 Jul, 2018 10:46 AM

climate change will seriously affect

क्लाईमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) को यदि रोका नहीं गया तो वर्ष 2050 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमैस्टिक प्रोडक्ट अर्थात जी.डी.पी.) 2.8 प्रतिशत पिछड़ जाएगा (लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर का नुक्सान) और आधी से अधिक आबादी का जीवन स्तर नकारात्मक रूप से...

चंडीगढ़(संजीव): क्लाईमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) को यदि रोका नहीं गया तो वर्ष 2050 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (ग्रॉस डोमैस्टिक प्रोडक्ट अर्थात जी.डी.पी.) 2.8 प्रतिशत पिछड़ जाएगा (लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर का नुक्सान) और आधी से अधिक आबादी का जीवन स्तर नकारात्मक रूप से प्रभावित होगा। ये असर सर्वाधिक देश के मध्य भाग में और उससे थोड़ा कम उत्तरी राज्यों में होगा। हरियाणा व पंजाब इससे अछूते नहीं रहेंगे।

इसी वर्ष मई में जारी किए गए वर्ल्ड बैंक के अपने किस्म के पहले अध्ययन ‘साऊथ एशियाज हॉटस्पॉट : इम्पैक्ट्स ऑफ टैम्परेचर एंड प्रेसिपिटेशन चेंजज ऑन लिविंग स्टैंडर्ड्स’ में बताया गया है कि बढ़ते तापमान और वर्षा में बदलाव के कारण देश की आॢथक व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी जिसका सीधा असर लोगों के जीवन स्तर पर पड़ेगा। इसमें कहा गया है कि जी.डी.पी. पर जो असर होगा वह प्रति व्यक्ति खपत और खर्च (जीवन स्तर) के संदर्भ में होगा

अध्ययन के अनुसार देश के मध्य में पडऩे वाले राज्य सर्वाधिक प्रभावित होंगे जहां के लोगों की खपत में 9.8 फीसदी तक की गिरावट आएगी जो 400 बिलियन डॉलर से भी अधिक की होगी। छत्तीसगढ़वासियों के जीवन स्तर (खपत व खर्च) में 10 ङ्क्षबदु के स्केल पर 9.4 की गिरावट आएगी, मध्य प्रदेश में 9.1, राजस्थान में 6.4, उत्तर प्रदेश में 4.9, महाराष्ट्र व झारखंड में 4.6, हरियाणा में 4.3, आन्ध्र प्रदेश में 3.4 और पंजाब में 3.3 गिरावट की बात कही गई है। पूरे देश में ये गिरावट 2.8 प्वाइंट की होगी।

देश में मौसम का रिकॉर्ड 1901 से रखा जाना शुरू हुआ। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार तब से लेकर आज तक यानी पिछले 118 सालों में पिछला दशक सबसे गर्म रिकॉर्ड किया गया। 20वीं सदी की शुरूआत से लेकर आज तक देश में औसत वार्षिक तापमान 0.66 डिग्री सेल्सियस प्रति सौ वर्ष (शताब्दी) की दर से बढ़ा है जबकि अधिकतम तापमान 1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा।तापमान में वृद्धि की दर हाल के दशकों में सबसे अधिक तेज रही। भारतीय मौसम विभाग के क्लाइमेट मॉनीटरिंग एंड एनालिसिस डिवीजन में वरिष्ठ वैज्ञानिक अरविंद श्रीवास्तव के अनुसार 2008-2017 का दशक देश के इतिहास में सबसे गर्म था।  
 

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