Edited By Isha, Updated: 22 Aug, 2019 12:20 PM
महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम हर महीने 5 साल तक के बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर वजन करती है। इसमें स्वस्थ, कमजोर और कुपोषित और अति-कुपोषित की श्रेणी में रखकर सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाती है।
जींद: महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम हर महीने 5 साल तक के बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर वजन करती है। इसमें स्वस्थ, कमजोर और कुपोषित और अति-कुपोषित की श्रेणी में रखकर सर्वे रिपोर्ट तैयार की जाती है। इसी के आधार पर जुलाई माह में भी विभाग की टीम द्वारा सर्वे किया गया है। इनमें जिलेभर की आंगनबाड़ी केंद्रों में 115502 बच्चों में से 85 लड़के और 129 लड़कियां सहित कुल 214 बच्चे कुपोषित और अति कुपोषित मिले हैं।
ऐसे सर्वे से देखने में आ रहा है कि लड़कों की बजाय लड़कियों के कुपोषण के शिकार ज्यादा हो रहे हैं। जून माह में हुए सर्वे के अनुसार अगर देखा जाए तो 1,16,178 बच्चों में से 212 बच्चे अति कुपोषण का शिकार मिले तो लगभग 2 हजार बच्चों का वजन सामान्य से कम मिला। 212 बच्चों में 94 लड़के और 118 लड़की अति कुपोषित मिले हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अभिभावक बच्चियों की सेहत पर कम ध्यान दे रहे हैं, जिससे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के अभियान पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।