जिले में नहीं एक भी रजिस्टर्ड गोताखोर

Edited By Deepak Paul, Updated: 15 Jul, 2018 01:20 PM

not a single registered diver in the district

जिले में अगर बारिश से बाढ़ जैसी आपात स्थिति पैदा होती है और बाढ़ के पानी में डूबे लोगों को बचाने के लिए गोताखोर चाहिएं तो जींद जिला पूरी तरह कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (के.डी.बी.) पर आश्रित है। बाढ़ में डूबे लोगों की मदद की नौबत आती है तो जिले में महज...

जींद(ब्यूरो): जिले में अगर बारिश से बाढ़ जैसी आपात स्थिति पैदा होती है और बाढ़ के पानी में डूबे लोगों को बचाने के लिए गोताखोर चाहिएं तो जींद जिला पूरी तरह कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (के.डी.बी.) पर आश्रित है। बाढ़ में डूबे लोगों की मदद की नौबत आती है तो जिले में महज 6 स्वीमर हैं और यह स्वीमर भी जींद पुलिस के हैं। जिले में बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने की मशीनरी में 19 बोट और 54 लाइफ जैकेट का जखीरा है। 

प्रदेश के मध्य में स्थित जींद जिला बाढ़ प्रभावित जिलों की सूची में काफी ऊपर आता है। जींद जिले ने 1978, 1995 और 1998 में बाढ़ की भारी बर्बादी झेली है। 1995 में तो जींद जिले में बाढ़ ने इतना विकराल रूप दिखाया था कि दो-तिहाई से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे, तमाम फसलें नष्ट हो गई थी। नैशनल हाईवे तक बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब गए थे। उस समय कई दिनों तक जींद का प्रदेश के दूसरे जिलों से रेल और रोड संपर्क टूट गया था। दरअसल, जींद जिले की भौगोलिक स्थिति एक कटोरे जैसी है। बाढ़ का सबसे ज्यादा असर सफीदों, पिल्लूखेड़ा और जुलाना ब्लाक में होता है। 1995 की बाढ़ में इन तीनों ब्लाकों के अलावा नरवाना और उचाना में भी बाढ़ की विभीषिका लोगों ने झेली थी।  14 लाख की आबादी वाले जींद जिले में एक भी रजिस्टर्ड गोताखोर नहीं है। 

गोताखोर की जरूरत उस समय पड़ती है, जब बाढ़ के पानी में कोई डूबने लगता है।  जींद जिले में 2 गोताखोरों ने अपने नाम रजिस्टर्ड करवाने के लिए भेजे लेकिन अभी तक उनके नाम गोताखोरों के रूप में रजिस्टर्ड नहीं हुए हैं। जिला प्रशासन कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड पर आश्रित है। प्रशासन को गोताखोर भेजने के लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से अनुरोध करना पड़ता है। 

बाढ़ से निपटने के लिए एफ.सी.ओ. सिस्टम : डी.सी. 
डी.सी. अमित खत्री के अनुसार बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए जींद जिले में पहली बार एफ.सी.ओ. (फ्लड कंट्रोल आर्डर) सिस्टम लागू किया गया है। पहले होता यह था कि केवल फ्लड कंट्रोल रूम बनता था जिसमें बाढ़ की सूचना दर्ज होती थी। अब जिले में एफ.सी.ओ. सिस्टम के तहत यह प्रावधान किया गया है कि न केवल बाढ़ की सूचना तुरंत दर्ज हो, बल्कि जरूरतमंद लोगों तक राहत तुरंत पहुंचाई जा सके। डी.सी. का कहना है कि जिले में इंसीडैंट रिस्पांस सिस्टम, डिस्ट्रिक्ट फ्लड कंट्रोल रूम स्थापित कर दिए गए हैं। बाढ़ संभावित गांवों की सूची तैयार है। ड्रेनों और माइनरों की सफाई का काम हो चुका है। वह और उनकी पूरी टीम बाढ़ जैसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।  

महज 6 स्वीमर के भरोसे जिला 
जिले में महज 6 स्वीमर तैनात हैं। यह सभी 6 स्वीमर हरियाणा पुलिस के हैं। इनके अलावा जिले में और कोई ऐसा स्वीमर नहीं है जो बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के समय लोगों को पानी में डूबने से बचा सके। जिले से भाखड़ा ब्रांच नहर, हांसी ब्रांच नहर, सुंदर ब्रांच नहर, भिवानी सब ब्रांच नहर आदि गुजरती हैं। पिंडारा, रामराय, हाट, सफीदों, कहसून और खुद जींद में रानी तालाब जैसे तीर्थ हैं, जिनमें लोग नहाने के लिए विशेष मौकों पर आते हैं। ऐसे में स्वीमर और गोताखोरों की संख्या जींद की जरूरत के लिहाज से काफी कम मानी जा रही है। 

यह है जींद में मशीनरी का जखीरा
जींद जिले में बाढ़ से निपटने के लिए जो मशीनरी है, उसमें 6 मोटर बोट, 13 बोट, 8 कुंडे, 42 चप्पू, 54 लाइफ जैकेट, 2 ट्राले तथा एक आयल टैंक है। जिले में बाढ़ से निपटने के लिए 5 जे.सी.बी. और 3 क्रेन हैं। इनकी मदद से कहीं नहर या ड्रेन में आए कट को पाटने से लेकर कहीं ज्यादा जलभराव होने की सूरत में बाढ़ का पानी निकालने के लिए चैनल की खुदाई का काम किया जा सकता है। 

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