Edited By Isha, Updated: 20 Aug, 2019 02:21 PM
गांवों से शहरों की तरफ आबादी का पलायन है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा। इससे जिले के शहरी क्षेत्र पर आबादी का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। लगातार बढ़ रही शहरी आबादी के लिए सड़कों से लेकर सीवरेज, पेयजल और आवासों जैसी मूलभूत सुविधाएं भी लगातार दबाव में...
जींद: गांवों से शहरों की तरफ आबादी का पलायन है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा। इससे जिले के शहरी क्षेत्र पर आबादी का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। लगातार बढ़ रही शहरी आबादी के लिए सड़कों से लेकर सीवरेज, पेयजल और आवासों जैसी मूलभूत सुविधाएं भी लगातार दबाव में आ रही हैं। जिले में गांवों से शहरों की तरफ आबादी का पलायन शुरू में कम था लेकिन बाद में यह तेज होता चला गया। एक दशक में शहरी आबादी में वृद्धि 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ी है।
जिले में ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्रों में आबादी के पलायन और बढ़ते दबाव के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र से लोग रोजगार और बेहतर लाइफ स्टाइल की उम्मीद में शहरों में आकर बस रहे हैं। इससे शहरों पर आबादी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। आबादी के इस बढ़ते दबाव को उचाना जैसे लगभग ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले शहर की हालत से बेहतर समझा जा सकता है। 1961 में उचाना की आबादी 4387 थी। 1971 में उचाना की आबादी 6339 थी।
1981 में यह 8991, 1991 में 10159, 2001 में 14111, साल 2011 में 21226 हो गई। अब साल 2021 में उचाना की आबादी 33537 होने का अनुमान लगाया गया है। 2031 में उचाना की आबादी 52988 तथा 2041 में 83500 तक पहुंच जाने का अनुमान है। इन आंकड़ों से साफ है कि 1961 से 1991 तक 30 साल में उचाना की आबादी में 38.90 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2001 में उचाना की आबादी में 50.42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।