नदीम के परिवार ने फौजियों संग खेली होली

Edited By kamal, Updated: 23 Mar, 2019 02:56 PM

nadeem s family played with the soldiers

डेढ़ साल का नदीम 50 घंटे तक मौत से लड़कर वापस आ गया। नदीम को बचाने के लिए हजारों की संख्या...

हिसार (रमनदीप): डेढ़ साल का नदीम 50 घंटे तक मौत से लड़कर वापस आ गया। नदीम को बचाने के लिए हजारों की संख्या में ग्रामीणों, सेना के जवानों ने उसे मौत के मुंह से बचा लाए। बच्चे नदीम के बोरवेल से सुरक्षित बाहन निकालने के बाद पूरे परिवार ने मिलकर फौजियों व एन.डी.आर.एफ. के जवानों के साथ होली खेली। परिवार व ग्रामीणों ने जमकर गुलाल उड़ाया व एक दूसरे को बधाई दी। जब सेना के जवानों ने नदीम तक पहुंचने की खबर दी तो वहां पर मौजूद लोगों ने सेना के उत्साहवर्धन के लिए भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाने शुरू कर दिए। जब तक नदीम को एंबुलैंस से अग्रोहा के लिए रवाना किया गया लोग जोर-जोर से नारे लगाते रहे। नदीम को अग्रोहा मैडीकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया है जहां पर नदीम को वैंटीलेटर पर रखा गया है।

जब नदीम सोता तो बचाव टीम की धड़कन रुक जाती 
नदीम पर कैमरे से नजर रखी जा रही थी। जब नदीम नींद में सोता तो किसी अनहोनी की आशंका के कारण बचाव टीम की धड़कर रुक जाती थी। बुधवार रात को करीब 11 बजे नदीम ने आंखें बंद कर ली और उसने हरकत करना बंद कर दिया। बच्चे को इस हालत में देखकर बचाव टीम व प्रशासन भी सकते में आ गया। इसके करीब 1 घंटे बाद नदीम ने कुछ हरकत की तो लगा कि अभी तक सब ठीक है। नदीम 3 से 4 घंटे तक की नींद ले रहा था।

बाएं हाथ में थोड़ी चोट
जानकारी के अनुसार 60 फीट की उंचाई से गिरने के कारण नदीम के बाएं हाथ में थोड़ी चोट आई है। नदीम को अग्रोहा मैडीकल कॉलेज में दाखिल करवाया गया है। 50 घंटे तक अकेला व अंधेरी जगह में रहने के कारण बच्चे के पड़े मानसिक प्रभाव से उभारने के लिए मनोचिकित्सक द्वारा ईलाज किया जा रहा है। हालांकि नदीम का प्रभाव पूरी तरह से सामान्य है। बोरवैल में भी वह ठीक से दूध वगैरहा ले रहा था और सोया भी था।

गलत रणनीति के कारण लगा इतना समय
नदीम को 60 फीट गहरे बोरवेल से निकालने के लिए प्रशासन ने बुधवार को करीब शाम 5 बजे जे.सी.बी. से पास में मिट्टी की खुदाई करवाना शुरू की। जेसीबी ने देर रात तक करीब 30 फीट तक गड्ढेा खोद दिया। उसके बाद जेसीबी से मिट्टी बाहर निकालना मुश्किल हो गया। इसके बाद पास ही एक और बड़ा गड्डा खोदकर दूसरी जे.सी.बी. से मिट्टी को बाहर डालना शुरू किया। गड्ढे की चौड़ाई कम होने की वजह से जेसीबी आगे नहीं बढ़ पाई जिसके बाद पूरे गड्ढे को फिर से चौड़ा किया गया। इस कार्य में वीरवार शाम तक का समय निकल गया।

शुक्रवार को मंगवाई डिजिट्रेकर मशीन
शुक्रवार सुबह तक गड्ढेे से बोरवेल तक सुरंग बनाने का काम शुरू किया गया। करीब 28 फीट तक सुरंग बनाने के बाद भी जब बोरवेल तक नहीं पहुंचा जा सका तो लोकेशन की पैमाइश की गई, जिससे यह पता लगा कि सुरंग गलत दिशा में खोद दी गई है। इसके बाद प्रशासन ने नदीम की सही लोकेशन पता करने के लिए डिजीट्रेकर मशीन मंगवाई। डिजीट्रेकर द्वारा लोकेशन पता लगने के बाद फिर से खुदाई शुरू की गई और नदीम को 50 घंटे के लंबे इंतजार के बाद बोरवेल से बाहर निकाला गया। 

नाइट विजन कैमरे से रखी जा रही थी नजर
नदीम के स्वास्थ्य व उसके  हालात पर नजर रखने के लिए बोरवेल में नाइट विजन कैमरे लगवाए हुए थे। कैमरे के जरिए नदीम की हर हरकत पर नजर रखी जा रही थी। बुधवार शाम व वीरवार में 3 बार नदीम को पीने के लिए दूध दिया गया। इसके अलावा उसके सोने के समय का भी ध्यान रखा गया। बाहर के कामकाज का बच्चे पर प्रभाव न पड़े इसके लिए बोरवेल को उपर से ढका गया था।

अग्रोहा तक रूट प्लान बनाया गया
प्रशासन द्वारा नदीम को तुरंत मैडीकल कॉलेज तक पहुंचाने के लिए अग्रोहा तक का रूट मैप बनाया गया। नदीम को एंबुलैंस में हाईवे से अग्रोहा मैडीकल भेजा गया। नदीम को बोरवेल से बाहर निकालते ही हाइवे टीम को अलर्ट भेज दिया गया था। अग्र्रोहा मैडीकल में भी 8 चिकित्सकों की टीम को तैयारी पर रखा गया था।

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