सम्पत सिंह का बिजली दरें कम करने का आग्रह, याचिका लगाई

Edited By Updated: 06 Apr, 2016 12:22 PM

financial condition quality compromise public representatives assembly

हिसार (का.प्र.): पूर्व मंत्री प्रो. सम्पत सिंह ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के सामने याचिका दायर कर बिजली की दरों को 2.36

हिसार (का.प्र.): पूर्व मंत्री प्रो. सम्पत सिंह ने हरियाणा विद्युत नियामक आयोग के सामने याचिका दायर कर बिजली की दरों को 2.36 रुपए प्रति यूनिट घटाने का आग्रह किया।

उन्होंने याचिका में कहा था कि उदय नामक योजना लागू किए जाने से निगमों का 34,600 करोड़ रुपए के कर्जे का 75 प्रतिशत यानी 25,950 करोड़ रुपए का बोझ सरकार को वहन करना होगा। बिजली वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति सुधारने व बिजली सप्लाई की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भारत सरकार, हरियाणा सरकार व बिजली वितरण निगमों के बीच उदय नामक योजना पर समझौता हुआ। समझौते में माना गया है कि 30 सितम्बर 2015 तक के कर्जे पर निगमों को वार्षिक 2374 करोड़ रुपए ब्याज देना पड़ता था। परिणामस्वरूप वित्तीय वर्ष 2014-15 में 74 पैसे प्रति यूनिट भुगतान किया गया। सात प्रतिशत वार्षिक मूल्य वृद्धि के अनुसार वर्ष 2016-17 में 85 पैसे प्रति यूनिट निगमों को लाभ होगा। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 में बिजली निगमों ने 7,366 करोड़ रुपए का कर्जा वित्तीय सुधारीकरण योजना के तहत लिया था। इस कर्ज पर वाॢषक ब्याज 722 करोड़ रुपए का भुगतान भी हरियाणा सरकार करेगी। इस भुगतान से भी निगमों को 26 पैसे प्रति यूनिट लाभ होगा। संपत सिंह ने कहा कि बिजली वितरण निगमों ने इस समझौते में अपने बिजली घाटे को वर्ष 2014-15 के 29.58 प्रतिशत को घटाकर 24.03 प्रतिशत करने का वायदा भी किया। 

उन्होंने कहा कि जब घाटा 29.58 प्रतिशत था तो बिजली की दरें 6.65 रुपए प्रति यूनिट थीं। जब चालू वित्त वर्ष में 24.03 प्रतिशत होगा तो दरें भी घट कर 5.40 रुपए प्रति यूनिट होंगी। यदि 5.40 रुपए प्रति यूनिट में 85 पैसे और 26 पैसे प्रति यूनिट की बचत को निकालें तो बिजली की दरें 4.29 रुपए प्रति यूनिट होंगी। इससे निगमों को 2.36 रुपए प्रति यूनिट का लाभ होगा। यह लाभ जनता को दिया जाए और बिजली की दरें 2.36 रुपए घटाई जाएं। 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बाहर निकालने के बाद भी 75 जनप्रतिनिधि विधानसभा में उपस्थित थे तथा उदय नामक योजना बजट का हिस्सा थी। इससे जनता के खजाने पर 25,950 करोड़ रुपए के कर्ज का बोझ डाला गया फिर भी किसी विधानसभा सदस्य ने इस योजना व बोझ पर कोई चर्चा नहीं की।

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