गेहूं में पीला रतुआ की दस्तक, कृषि विभाग की टीम को मिला पहला केस

Edited By vinod kumar, Updated: 10 Feb, 2020 04:28 PM

yellow rust in wheat

जिले में पीला रतुआ ने दस्तक दे दी है। इस बीमारी का पहला केस नलवी खुर्द गांव के खेतों में मिला। गत दिनों मौसम में लगातार बनी नमी के बाद अलर्ट कृषि विभाग की टीम गांव में जांच करने पहुंची थी। किसान अमित व संदीप की गेहूं की फसल की जांच की तो इसमें पीला...

करनाल(मनोज): जिले में पीला रतुआ ने दस्तक दे दी है। इस बीमारी का पहला केस नलवी खुर्द गांव के खेतों में मिला। गत दिनों मौसम में लगातार बनी नमी के बाद अलर्ट कृषि विभाग की टीम गांव में जांच करने पहुंची थी। किसान अमित व संदीप की गेहूं की फसल की जांच की तो इसमें पीला रतुआ के शुरूआती लक्षण मिले हैं। 

सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी डा. सुरेश व ए.डी.ओ. राकेश सहारण ने इसकी पुष्टि की है। डा. सुरेश ने किसानों को सलाह दी कि जल्द प्रॉपीकोनाजॉल का स्प्रे कर दें। ताकि बीमारी पर काबू पाया जा सके। 
कृषि अधिकारियों ने गांव में जांच आगे बढ़ाई तो चौकाने वाले हालात मिले।

किसानों ने बताया कि इससे पहले एक अन्य खेत में भी पीला रतुआ सामने आया था। किसान जागरूक था इसलिए उसने तुरंत दवाई का स्प्रे कर दिया। इससे फसल का बचाव हो गया। टीम ने इस खेत का भी दौरा किया। यहां हालात सामान्य मिले। इसके बाद कृषि अधिकारियों ने राहत की सांस ली। फिलहाल गेहूं की 2851 व श्रीराम 231 वैरायटी में इस बीमारी का प्रकोप सामने आया है। 

गेहूं के लिए बेहद घातक 
पीला रतुआ गेहूं की फसल के लिए बेहद घातक है। फसल के पत्ते खराब होने से भोजन नहीं बन पाता। गेहूं के दाने पतले हो जाते हैं। समय पर स्प्रे नहीं करने को पूरी फसल को चपेट में ले लेता है। पहाड़ों से यह मैदानी इलाकों में दस्तक देता है। एक बार अनियंत्रित हो जाए तो हवा के फेर से ही हजारों एकड़ फसल को चपेट में ले लेता है। अम्बाला, कुरुक्षेत्र के बाद इसका असर करनाल के खेतों में देखा जाता है। इस बार इसकी एंट्री समय से पहले हो गई है। इस बात से कृषि विशेषज्ञ भी ङ्क्षचता में हैं। 

सुनील बजाड़, एस.डी.ओ. कृषि विभाग करनाल ने कहा कि नलवी खुर्द गांव में पीला रतुआ बीमारी सामने आई है। कृषि विभाग इसे लेकर अलर्ट मोड पर है। नलवी खुर्द गांव में टीम खुद सर्वे करने पहुंची थी। गत वर्ष इंद्री के ब्याना व इंद्रगढ़ में पीला रतुआ ने दस्तक दी थी। किसानों से अपील है कि इस बीमारी से गेहूं की फसल को बचाने के लिए प्रॉपीकोनाजॉल का स्प्रे करें। 

शुक्र है यह लाइलाज नहीं 
किसान घबराएं नहीं। गेहूं की फसल में आई इस बीमारी का इलाज है। कोरोना वायरस की तरह फिलहाल यह लाइलाज नहीं है। बस जरूरत है किसानों को जागरूक होने की। ए.डी.ओ. राकेश सहारण ने कहा कि किसान रोजाना अपने खेतों का दौरा करें। पीला रतुआ मिलते ही प्रॉपीकोनाजॉल का स्प्रे करें। 200 एम.एल. दवाई को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में अच्छी तरह स्प्रे करें। स्प्रे से पीला रतुआ पर काबू पाया जा सकता है।  

किसान बोले - सबसिडी पर मिले दवाई 
इंद्री निवासी किसान अमित, राकेश व दीपक का कहना है कि गत वर्ष भी बीमारी ने दस्तक दी थी। तब कृषि विभाग ने किसानों को 75 प्रतिशत सबसिडी पर दवाई उपलब्ध करवाई थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। होना तो यह चाहिए था कि बीमारी आने से पहले ही प्रॉपीकोनाजॉल दवाई सबसिडी पर किसानों को मुहैया करवाई जाती। 

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