Edited By Shivam, Updated: 27 May, 2019 12:52 PM
एक ओर गर्मी का मौसम और उसमें आग उगलता सूरज लोगों को अपनी तपिश से झुलसा रहा है। वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पाक त्योहार रमजान के महीने में प्यासे तड़पने को मजबूर हैं। आलम यह है कि लोगों को पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है। मेवात जिले के कई गांव...
नूंह (एके बघेल): एक ओर गर्मी का मौसम और उसमें आग उगलता सूरज लोगों को अपनी तपिश से झुलसा रहा है। वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पाक त्योहार रमजान के महीने में प्यासे तड़पने को मजबूर हैं। आलम यह है कि लोगों को पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है। मेवात जिले के कई गांव तो ऐसे हैं, जिनमें रेनीवेल परियोजना का पानी ही नसीब नहीं हुआ।
सूख चुके हैं गांव के तालाब व कुएं
मेवात नूंह जिले के नगीना खंड में गांव खुसपुरी में पानी को लेकर हालत लातूर होते जा रहे हैं। मजबूर होकर रोजेदार महिलाओं को सिर पर मटका रखकर एक -दो किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। गांव के अधिकतर कुएं, तालाब, सूख चुके हैं, जिसकी वजह से गांव के लोगों को मोल का पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है।
मात्र एक टैंकर पानी से 1500 लोग बुझा रहे प्यास
गौरतलब है कि गांव में तकरीबन 10 साल पहले रैनीवेल का चेंबर बनाया गया था और लाइनें भी गांव में बिछाई गई थी, लेकिन गांव के लोगों को पानी तथा कनेक्शन देना विभाग भूल ही चुका है। वहीं प्रशासन की ओर गांव में पानी का मात्र एक टैंकर भेजा जा रहा है, जिसमें 1500 आबादी वाले गांव के लोगों को गुजारा करना पड़ रहा है।
बता दें कि नूंह मेवात जिला मुस्लिम बाहुल्य है, रमजान के माह में महिलाएं उपवास रखकर पूरे दिन पानी ढोने में लगी रहती है। भीषण गर्मी और रमजान के माह को देखते हुए प्रशासन ने पर्याप्त मात्रा में बिजली-पानी देने की बात कही थी, लेकिन रमजान के महीने में पारा 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचा तो पानी के इंतजामों की हवा निकल गई। इस मौसम में बिजली पानी की खासी जरूरत होती है, लेकिन गांव की महिलाएं रोजेदार के लिए दर-दर भटक रही है।