प्लान इंडिया के सर्वे में हुआ खुलासा, हरियाणा में कुपोषण की शिकार हो रही महिलाएं

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 18 Aug, 2018 09:40 AM

women getting malnourished in haryana

हरियाणा के लोग बड़े गर्व से कहते हैं ‘देशन में देश हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा।’ यह बात पुरुषों के लिए तो शायद सही हो लेकिन महिलाओं पर फिट नहीं बैठती। कम से कम सर्वे तो यही बताता है कि बिहार व झारखंड....

चंडीगढ़(संजीव शुक्ल): हरियाणा के लोग बड़े गर्व से कहते हैं ‘देशन में देश हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा।’ यह बात पुरुषों के लिए तो शायद सही हो लेकिन महिलाओं पर फिट नहीं बैठती। कम से कम सर्वे तो यही बताता है कि बिहार व झारखंड की तरह हरियाणा में भी लड़कियों तथा महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है। वह बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा कुपोषण की शिकार हैं। सर्वे में 40 फीसदी लड़कियों का वजन कम पाया गया, जबकि 60 प्रतिशत   महिलाएं एनीमिया (खून की कमी) की शिकार मिलीं।

देश में लैंगिक संवेदनशीलता (जैंडर वलनरैबिलिटी) पर प्लान इंडिया द्वारा किए गए सर्वे में यह तथ्य उजागर हुए हैं। यह रिपोर्ट 170 सूचकों (इंडीकेटर्स) पर सभी राज्यों से लिए गए डाटा के आधार पर तैयार की गई। सभी सूचकों को-सुरक्षा, शिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य व उत्तरजीविता (सरवाइवल)- नामक 4 ग्रुपों में बांटा गया है, जिनके आधार पर राज्यों का जैंडर वलनरैबिलिटी इंडैक्स (जी.वी.आई.) तैयार किया गया। देश के 29 राज्यों व 7 केंद्र शासित प्रदेशों में गरीबी के मामले में हरियाणा का स्थान 17वां, महिलाओं व लड़कियों को सुरक्षा उपलब्ध कराने में 21वां, शिक्षा में 12वां और स्वास्थ्य में 26वां है। इन ग्रुपों को मिलाकर तैयार किए गए जैंडर वलनरैबिलिटी इंडैक्स (जी.वी.आई.) में हरियाणा 19वें स्थान पर है, जबकि सबसे खराब स्थिति बिहार की है, जिसका नम्बर 30वां है। सबसे बेहतर और पहले स्थान पर गोवा है। इसी क्रम में यदि पड़ोसी राज्यों को देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश क्रमश: 15, 2, 1, 15 तथा 6वें स्थान पर है। दिल्ली 21, 28, 30, 24 और 28वें स्थान पर है। जम्मू-कश्मीर क्रमश: 28, 3, 24, 13, और 20वें स्थान पर है। पंजाब 22, 4, 3, 8 और 8वें स्थान पर है।

सुरक्षा के संबंध में अध्ययन कहता है कि हरियाणा में 18.5 फीसदी लड़कियां आज भी शादी की कानूनी उम्र से पहले ही ब्याह दी जाती हैं। 32 फीसदी शादीशुदा महिलाओं को कभी न कभी अपने पति की हिंसा का सामना करना पड़ा है। प्रोटैक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सैक्सुअल ऑफैंस (पोक्सो) कानून के तहत दर्ज मुकद्दमों में 97.8 फीसदी लड़कियां ऐसी हैं जो अपराधी को जानती हैं। शिक्षा के मामले में पाया गया कि 45.8 फीसदी महिलाओं ने 10 या उससे  अधिक वर्षों तक औपचारिक शिक्षा हासिल की। हरियाणा में तकरीबन 46.4 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित हैं, जबकि देश में 10 में से 7 शिक्षित हैं। हालांकि 99.6 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय हैं लेकिन इसमें से 82.3 प्रतिशत ही इस्तेमाल लायक हैं।

स्वास्थ्य व उत्तरजीविता (सरवाइवल) के क्षेत्र में पाया गया कि 25.6 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है और लोगों को खुले में जाना पड़ता है। 78.4 प्रतिशत महिलाओं का कहना था कि वे मासिक धर्म के समय स्वास्थ्यकर तरीकों का ही इस्तेमाल करती हैं। गर्भावस्था के समय 3 में से 2 (64.7 फीसदी) केस ही प्रसव पूर्व जांच (ऐंटे नेटल चैकअप या ए.एन.सी.) के लिए रजिस्टर हो रहे हैं। 92.1 फीसदी प्रसव स्वास्थ्य संस्थानों में ही हो रहे हैं। जहां तक हरियाणा में गरीबी का सवाल है तो अध्ययन में पाया गया कि 50.5 फीसदी महिलाओं के पास मोबाइल फोन है जिसका इस्तेमाल वह खुद करती हैं। 35.8 प्रतिशत औरतें भूमि या अचल सम्पत्ति की मालकिन हैं। यह सम्पत्ति या तो उनके अकेले के नाम पर है या फिर किसी और के साथ उनका नाम शामिल है। 45.6 फीसदी महिलाओं के अपने बैंक खाते हैं जिन्हें वे स्वयं आप्रेट करती हैं। विभिन्न संस्थाओं में चुने गए प्रतिनिधियों में मात्र 9.5 प्रतिशत महिलाएं हैं।
 

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