क्या हरियाणा सरकार बजट सत्र में धारा 354 IPC में पुन: संशोधन करवाएगी ?

Edited By vinod kumar, Updated: 09 Feb, 2020 07:12 PM

will the government revise section 354 ipc in the budget session

आज से डेढ़ वर्ष पूर्व 11 अगस्त 2018 को भारत के राष्ट्रपति ने संसद द्वारा पारित दंड विधि(संशोधन) विधेयक, 2018 को अपनी मंजूरी प्रदान की। जिसके पश्चात यह औपचारिक विधिवत कानून बन गया, हालांकि यह पूरे देश में वर्ष 21 अप्रैल 2018 से ही लागू हो गया था, जब...

चंडीगढ़(धरणी): आज से डेढ़ वर्ष पूर्व 11 अगस्त 2018 को भारत के राष्ट्रपति ने संसद द्वारा पारित दंड विधि(संशोधन) विधेयक, 2018 को अपनी मंजूरी प्रदान की। जिसके पश्चात यह औपचारिक विधिवत कानून बन गया, हालांकि यह पूरे देश में वर्ष 21 अप्रैल 2018 से ही लागू हो गया था, जब केंद्र की मोदी सरकार ने इसे अध्यादेश के रूप में राष्ट्रपति से जारी करवा लागू करवाया था। 

इसी के दृष्टिगत हरियाणा की सत्तारूढ़ खट्टर सरकार ने इससे एक माह पूर्व मार्च, 2018 में हरियाणा विधानसभा के तत्कालीन बजट सत्र में पारित हुए दंड-विधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018 का परित्याग करने और संसद के उक्त कानून को ही राज्य में लागू करने का फैसला किया था। क्योंकि हरियाणा के विधेयक द्वारा छोटी बच्चियों से बलात्कार की सजा से संबंधित डाले गए प्रावधानों को संसद द्वारा पारित कानून में न केवल शामिल किया गया, बल्कि उन्हें और अधिक सख्त किया गया।

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित उक्त 2018 विधेयक में भारतीय दंड संहिता (आईपीएस) में  बलात्कार की सजा के प्रावधानों में संशोधन के अतिरिक्त दो अन्य धाराएं भी संशोधित की गई, जो हालांकि संसद द्वारा बनाये गए कानून में नहीं है। इसमें एक तो धारा 354  में वर्तमान उल्लेखित कारावास की सजा को बढ़ाकर दोनों में से किसी भी भांति का कम से कम दो वर्ष और अधिकतम सात वर्ष करने का फैसला लिया गया। अभी वर्तमान में इसमें कम से कम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष का कारावास का प्रावधान है।

 इसके अतिरिक्त धारा 354 डी (2) में भी दूसरी बार एवं उसके अधिक बार दोषी पाए जाने पर दोनों में से किसी भांति के कारावास की अवधि अधिकतम सात वर्ष कर दी गयी है, अभी यह अधिकतम अवधि पांच वर्ष है। हेमंत ने बताया कि सदन  द्वारा पारित होने के बाद दंड विधि (हरियाणा संशोधन ) विधेयक, 2018 विधानसभा स्पीकर द्वारा हरियाणा के राज्यपाल को भेजा गया। जहां से महामहिम द्वारा अप्रैल, 2018 में इसे केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को भेजा दिया गया, ताकि इस पर भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जा सके। क्योंकि दंड-विधि का विषय भारतीय संविधान में समवर्ती सूची में आता है। इस पर राज्यपाल नहीं अपितु राष्ट्रपति स्वीकृति प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल 2018 को मोदी सरकार द्वारा भारत के राष्ट्रपति से दंड विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2018 जारी करवाने के दृष्टिगत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मई, 2018 में हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर पूछा क्या उक्त अध्यादेश के फलस्वरूप हरियाणा सरकार दंड-विधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018 का परित्याग करना  चाहती है ? जुलाई, 2018 में हरियाणा सरकार ने केंद्र को इस संबंध में अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया और इस बाबत हरियाणा के राज्यपाल को सूचित कर दिया। जिसके बाद राजभवन ने राज्य सरकार को भी जानकारी दे दी।

इसके बाद हालांकि उक्त विधेयक के परित्याग करने के संबंध में हरियाणा सरकार द्वारा सदन को न तो तत्कालीन मानसून सत्र जो 7 सितंबर 2018 से प्रारंभ हुआ और न ही इसके बाद दिसंबर, 2018  में एक दिन के शीतकालीन सत्र में इस आशय में आधिकारिक एवं औपचारिक से सूचना दी गई। हेमंत ने इस संबंंध में हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष को अलग अलग याचिकाएं भेजकर अनुरोध किया की जब कोई सत्तारूढ़ सरकार विधानसभा में कोई विधेयक पेश करती है एवं सदन उसे पारित कर देता  है, तो उस विधेयक को वापिस लेने का अंतिम अधिकार भी विधानसभा के पास ही होना चाहिए न कि राज्य सरकार के पास। क्योंकि कोई भी विधेयक सदन से पारित होने के बाद एक प्रकार से सदन की ही संपत्ति बन जाता है, राज्य सरकार की नहीं। अंतत: गत वर्ष फरवरी, 2019 के बजट सत्र में  राज्य विधानसभा द्वारा  दंड-विधि (हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018 का औपचारिक परित्याग करने के संबंध में अनुमोदन किया गया।

बहरहाल, हेमंत ने गृह मंत्री अनिल विज से मांग की है कि मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार को आगामी बजट सत्र में ताजा दंड विधि (हरियाणा संशोधन ) विधेयक, 2020  लाना चाहिए। जिसके द्वारा आईपीएस की उक्त दो धाराओं 354 एवं 354  डी (2) में पुन: वैसा ही संशोधन किया जाए जैसा कि मार्च, 2018  में विधानसभा द्वारा पारित विधेयक में किया गया था। ताकि प्रदेश में महिलाओं की गरिमा एवं सुरक्षा पर दिन प्रतिदिन बढ़ रहे अपराधों की सजा और अधिक सख्त की जा सके।

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