इंसानी घुसपैठ से बेघर हो रहे वन्य जीव

Edited By Isha, Updated: 17 Nov, 2019 12:02 PM

wildlife becoming homeless due to human intrusion

सरूरपुर गांव में शनिवार को तेंदुए के प्रवेश ने एक बार फिर अरावली में इंसानी घुसपैठ को उजागर कर दिया। अरावली में अवैध रूप से होने वाले निर्माण से वन्य जीव बेघर हो रहे हैं। वह खाने की तलाश में शहर

फरीदाबाद (दीपक पांडेय): सरूरपुर गांव में शनिवार को तेंदुए के प्रवेश ने एक बार फिर अरावली में इंसानी घुसपैठ को उजागर कर दिया। अरावली में अवैध रूप से होने वाले निर्माण से वन्य जीव बेघर हो रहे हैं। वह खाने की तलाश में शहर की तरफ आ रहे हैं। जिससे न सिर्फ इंसानो को नुकसान हो रहा है बल्कि वन्य जीव भी खतरे में है। नगर निगम के सर्वे के अनुसार अरावली में 144 होटल और रिर्साट बने हुए हैं। जो कि पूरी तरह से अवैध है। इन अवैध निर्माणों को तोडऩे के लिए नगर निगम कई बार प्रयास कर चुका है। लेकिन हर बार असफलता हाथ लगती है। 

पिछले 3 साल के दौरान अरावली पर्वत श्रृंखला में वन्य जीवों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। लेकिन इन वन्य जीवों का संरक्षण करने के बजाय अरावली में निर्माण की इजाजत देने पर प्रदेश सरकार आमादा है। बल्कि, एक्ट में संशोधन भी कर चुकी है। ऐसे में अरावली में रह रहे वन्य जीवों के लिए भी यह खतरे की घंटी साबित होगा। हरियाणा वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट वन्य जीवों के संरक्षण को लेकर गंभीर भी नजर नहीं आया। लेकिन अरावली में प्राकृतिक तरीके से ही वन्य जीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए पर्यावरणविद व वन्य जीव प्रेमी अक्सर अरावली को वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सेंचुरी घोषित करने की मांग करते रहते हैं।

अरावली वन क्षेत्र असोला वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से लेकर मेवात तक फैला हुआ है जिसका कुल दायरा करीब 692 किलोमीटर लंबा है। इस क्षेत्र में जंगली जानवरों की संख्या बढ़ती जा रही है।  जंगली जानवरों का घर कहे जाने वाले अरावली से सटे क्षेत्रों में अवैध कब्जा होता जा रहा है। पूरी अरावली में जगह-जगह निर्माण गतिविधियों से अरावली का तंत्र बिगड़ रहा है। फिर भी दिल्ली एनसीआर के आसपास अरावली को वन्य जीवों का सुरक्षा का कवच माना जाता रहा है।

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