आढ़तियों व राइस मिलरों से धान घोटाले में 85 करोड़ की रिकवरी करने वाले पीके दास निशाने पर क्यों?

Edited By vinod kumar, Updated: 23 Sep, 2020 09:04 PM

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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग किसानों के हित में हो सुधार आढ़तियों व् राइस मिलरों को रास नहीं आ रहें हैं। सम्भवता इसी से इन लोगों की परेशानी बड़ी है। विभाग के एसीएस पीके दास जो सरकारी नीतियों से लागू करने में कितने सख्त है, यह किसी से छुपा नहीं है।

चंडीगढ़ (धरणी): खाद्य एवं आपूर्ति विभाग किसानों के हित में हो सुधार आढ़तियों व् राइस मिलरों को रास नहीं आ रहें हैं। सम्भवता इसी से इन लोगों की परेशानी बड़ी है। विभाग के एसीएस पीके दास जो सरकारी नीतियों से लागू करने में कितने सख्त है, यह किसी से छुपा नहीं है। 

यही कारण है कि पी के दास आढ़तियों के निशाने पर आ चुके हैं। पिछले दिनों सीएम से हुई मीटिंग में आढ़तियों व राइस मिलरों ने दास के मुद्दे पर मोर्चा खोलने की कोशिश की। वजह चाहे किसानों को डायरेक्ट पेमेंट की हो, धान घोटाले रोकना व वसूली मिलरों की होने की हो।  

सूत्रों के अनुसार सीएम के साथ आढ़तियों व् राइस मिलरों के साथ जो मीटिंग हुई थी। यह बातचीत अधिकांश समय इन्हीं चर्चाओं में बीती की आढ़तियों व राइस मिलरों को कैसे विश्वाश दिलवाया जाए की सरकार कारगर रास्ते निकाल रही है। गौरतलब है की इस बार सरकार ने दान खरीदने धान की मंडियों से राइस मीलों तक ट्रांसपोटेशन प्राइवेट न करवा कर खुद करने का फैंसला लिया है। आढ़तियों व मिलरों को यह बात इसलिए रास नहीं आ रही क्योंकि यह लोग होने के बाद जाली खरीद फरोख्त रूक जाएगी। जिससे कोई घोटाला या जान बुझ कर अनियमितता होने पर लगाम लगेगी। 

आढ़तियों व राइस मिलरों ने सीएम की बैठक में इसका विरोध भी किया। बात नहीं बनी। आढ़तियों के किसानों को ब्याज देने व पैसे देने का मुद्दा भी छाया रहा। सूत्र बताते हैं की इस पर दास ने रिएक्ट भी किया। हाल ही में हुई गेहूं की खरीद के दौरान किसानों को पेमेंट डायरेक्ट की गई। पहले आढ़तियों ने विरोध किया फिर बाद में माना था। पेच फंसा केवल किसानों को देरी से मिली पेमेंट को लेकर।

जिसमें सरकार ने आढ़तियों को किसानों को देरी से हुई पेमेंट का ब्याज देने में देरी हुई। यही बात आढ़तियों को नागवार गुजरी। दूसरा प्रकरण पिछले सीजन की धान की खरीद का था, जहां धान खरीद में न केवल आढ़ती महकमे के लोग, मिलरों के माध्यम से अनियमितता की बात किसी से छुपी नहीं है।

सरकार हर साल धान की कुटाई राइज मिलरों को देती है। जिसके एवज में उन्हें पैसे दिए जातें हैं। इन मीलों में कम धान मिलना ही घोटाले का रूप लेता है। यही पिछले वर्ष हुआ था। तीन बार फिजिकल वेरिफकेशन भी की गई। पहली बार हरियाणा में मिलरों से 85 करोड़ की रिकवरी की गई। 

पहली बार 70 शैलरों को ब्लैक लिस्टिड किया गया। जिन्हें इस सीजन में कुटाई के लिए धान नहीं दिया जा रहा है, जबकि राजनीतिक सरंक्षण पाए इन मिलरों ने अंत तक यही कहा की कोई घोटाला नहीं हुआ है, लेकिन अपनी सख्त कार्य शैली के लिए जाने जाते पी के दास ने 85 करोड़ की रिकवरी की। अब धान की खरीद सीजन फिर है, आढ़तियों व राइस मिलरों द्वारा खिलाफत शुरू कर। इसलिए नाराजगी जताई जा रही है।

हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के ए सी एस पी के दास आजकल आढ़तियों और मिलरों के निशाने पर केवल इसलिए हैं की उनके द्वारा सरकार की नीतियों को शत प्रतिशत लागू करवाने की कोशिश होती है। किसानों व आढ़तियों के निशाने पर उनके होने का प्रमुख कारण है की पिछली बार हुए धान मामले के अनियमितताओं में उनकी सख्ती के चलते हरियाणा में पहली बार चावल मिलरों से 85 करोड़ रुपये की रिकवरी हुई थी। 

धान की तीन बार पर्सनल वेरिफिकेशन करवाई गई। अब धान का सीजन आने वाला है। उसकी खरीद से पहले व्यापारी एक जुट होकर पी के दास पर रहें हैं। दास ने पिछले सीजन में बिहार से सस्ता चावल लाकर हरियाणा में बेचने वालों पे शिकंजा कसा था।

सरकार की नीति है कि किसानों को डायरेक्ट पेमेंट हो, आढ़ती के माध्यम से न हो। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के ए सी एस पी के दास दबंग व कर्मठ अफसरों में हैं। उन्होंने पिछले सीजन से ही इसे तुरंत कार्याणिवन्त करवा दिया। उसको लेकर भी आढ़ती वर्ग नाराज है।

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