जजपा में अब कौन बनेगा मंत्री, चयन करना चुनौती

Edited By vinod kumar, Updated: 23 Nov, 2019 09:58 AM

who will be the minister in jjp selection challenge

हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बने कुछ ही दिन बीते हैं। गत सप्ताह ही मंत्रिमंडल विस्तार हुआ, लेकिन मंत्री न बनने से नाराज कुछ विधायकों ने नाराजगी उप-मुख्यमंत्री एवं जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के सम्मुख जता दी है। यहां बता दें कि गठबंधन सरकार में...

चंडीगढ़(बंसल): हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बने कुछ ही दिन बीते हैं। गत सप्ताह ही मंत्रिमंडल विस्तार हुआ, लेकिन मंत्री न बनने से नाराज कुछ विधायकों ने नाराजगी उप-मुख्यमंत्री एवं जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के सम्मुख जता दी है। यहां बता दें कि गठबंधन सरकार में जजपा के हिस्से 4 मंत्री आए थे जिसमें से दुष्यंत उप-मुख्यमंत्री एवं अनूप धानक मंत्री बन गए। मंत्री बनने की लालसा पाले अन्य विधायक विस्तार दौरान उदास देखे गए। हालांकि अभी जजपा के कोटे से 2 मंत्री बनाए जाने शेष हैं जिसके चलते मंत्री बनने की इच्छा रखे विधायकों ने नाराजगी दुष्यंत के सम्मुख जता भी दी है। इसके चलते दुष्यंत को बयान देना पड़ा कि अगले विस्तार में जजपा का सिर्फ एक मंत्री बनाया जाएगा।

बता दें कि नारनौंद क्षेत्र से कै.अभिमन्यु को हराने वाले रामकुमार गौतम, टोहाना से देवेंद्र सिंह बबली, गुहला चीका से ईश्वर सिंह को उम्मीद थी कि विस्तार दौरान मंत्री बनाया जाएगा। उनके समर्थकों की मानें तो विस्तार के पहले दिन तक जजपा के वरिष्ठ नेताओं व दुष्यंत के परिवार ने आश्वत किया था कि मंत्री बनाया जा रहा है। इसके चलते रामकुमार गौतम और ईश्वर सिंह के समर्थकों ने खुशी जताई थी लेकिन आखिरी वक्त में पत्ता कट गया और केवल धानक को मंत्री बनाया गया।

हालांकि इसके पीछे अंदरूनी कारण क्या रहे, यह स्पष्ट नहीं हो पाया लेकिन उक्त तीनों विधायकों ने दुष्यंत को कह दिया कि अब आगे उन्हें क्या करना है,उन्हें मंत्री बनाया जाएगा या नहीं, यह स्पष्ट किया जाए। तीनों ही विधायक सार्वजनिक तौर से तो कुछ नहीं बोल रहे लेकिन चुप्पी सारा माजरा स्वयं बयां कर देती है। चर्चा रही कि भाजपा के हारे नेताओं के दबाव के चलते जजपा विधायक मंत्री बनने से रह गए।

पूर्व वित्त मंत्री कै.अभिमन्यु की लॉङ्क्षबग के चलते गौतम मंत्री नहीं बन पाए जबकि बबली का पत्ता इसलिए कट गया कि भाजपा जाट विधायकों को मंत्री बनाना चाहती थी। इस सोच के चलते जहां निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला को मंत्री बनाया गया,वहीं भाजपा विधायक जे.पी.दलाल और कमलेश ढांडा मंत्री बने। दूसरी ओर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला भी पूरे प्रयास कर रहे थे कि बबली को मंत्री न बनाया जाए।

ईश्वर सिंह का पत्ता भी इसलिए कट गया क्योंकि जजपा के पुराने नेता चाहते थे कि धानक को मंत्री बनाया जाए जिसके चलते ईश्वर सिंह को आखिरी दिन बताया गया कि मंत्री नहीं बनाया जा रहा। उक्त जजपा विधायकों के समर्थकों का कहना है कि भाजपा की अंदरूनी राजनीति से उन्हें क्या लेना-देना,क्या उनके नेता इसलिए विधायक बने थे कि गठबंधन होने के बावजूद भी उन सरकारी सुख सुविधाओं से वंचित रखा जाएगा। 

सूत्रों की मानें तो दुष्यंत ने जजपा विधायकों को यह कहकर मनाने का प्रयास भी किया उनके पास 11 महकमे हैं। वह सभी स्वयं को महकमों को मंत्री ही समझें। उनके पास जितने महकमे हैं उनकी नीति निर्धारण में जजपा विधायकों की सलाह से ही काम होंंगे,लेकिन उक्त विधायकों के समर्थकों को यह बातें लालीपाप ही लग रही है। इन विधायकों के समर्थक तो यह चाहते थे कि उनके नेता मंत्री बने ताकि उनके क्षेत्र में उनका कद बढ़े लेकिन भाजपा या जजपा की अंदरूनी राजनीति कहे या कुछ ओर उनके सपने टूट गए।

प्रकोष्ठों को और मजबूत करने के लिए जजपा प्रदेश मुख्यालय में मंथन
जननायक जनता पार्टी के गठन को 9 दिसम्बर को एक साल पूरा होने वाला है। इतने कम समय में जजपा जहां भाजपा से गठबंधन कर सरकार का हिस्सा बन गई वहीं विभिन्न प्रकोष्ठों को और मजबूत करने के लिए मंथन का दौर शुरू कर दिया है। चंडीगढ़ प्रदेश कार्यालय में मैडीकल प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने बैठक की जिसमें प्रभारी डा.नरेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष डा. दिनेश सनसनवाल और वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. प्रदीप नैन मौजूद रहे। वैटर्नरी एसोसिएशन ने पशुपालक एवं डेयरी विभाग में कार्यरत पशु चिकित्सकों की समस्याओं को लेकर ज्ञापन भी सौंपा।

इससे पहले किसान सैल के प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार रिढाऊ और व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश मित्तल ने भी बैठक की। पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि जजपा प्रकोष्ठों को और मजबूत करने हेतु आगामी समय में भी ऐसे बैठकें जारी रखेगी। इसके अलावा पार्टी कार्यालय में आने वाले प्रकोष्ठों के पदाधिकारी आमजन की समस्याओं को भी सुनेंगे। गत दिन अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रभारी मोहसीन चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष हरफूल खान भट्टी और कानूनी सैल के प्रदेश अध्यक्ष सूरजभान काजल ने भी मंथन किया था।

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