जब चाय वाले को ताऊ देवीलाल ने बनाया था चेयरमैन

Edited By Shivam, Updated: 14 Apr, 2019 11:22 AM

when tea maker chairman made by tau devi lal

देश की राजनीति में चाय वाले का डंका आज भले ही बज रहा हो और चाय पर चर्चा जैसे राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हों...

जींद (जसमेर): देश की राजनीति में चाय वाले का डंका आज भले ही बज रहा हो और चाय पर चर्चा जैसे राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हों लेकिन चाय का राजनीति से नाता कोई नया नहीं है। यह नाता बहुत पुराना है। 

देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री और हरियाणा में 1977 तथा 1987 में 2 बार मुख्यमंत्री बनने वाले चौधरी देवीलाल अपने पुराने साथियों को सत्ता में आने पर भी नहीं भूलते थे।  मुंढाल के बस अड्डे पर मुख्त्यार सिंह नामक एक व्यक्ति की चाय की दुकान थी। जब भी चौधरी देवीलाल का यहां से गुजरना होता था तो वह मुख्त्यार सिंह के हाथ की बनी चाय की चुस्की लेना नहीं भूलते थे। पहली बार चौधरी देवीलाल ने 1964 में मुख्त्यार के हाथ की बनी चाय की चुस्की ली थी।

चाय ने उनका मुख्त्यार से ऐसा दिली नाता जोड़ दिया कि यह चौधरी देवीलाल की आखिरी सांस तक बना रहा। 1987 में चौधरी देवीलाल ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में 90 में से 85 सीटों पर ऐतिहासिक और रिकार्ड तोड़ जीत हासिल कर प्रदेश के मुख्यमंत्री की गद्दी दूसरी बार संभाली। वह सी.एम. बनने के बाद भी मुंढाल के अपने चाय के खोखे वाले दोस्त मुख्त्यार को नहीं भूले और उन्होंने हाऊसिंग बोर्ड का चेयरमैन बनाकर उन्हें लाल बत्ती वाली कार दे दी। 

मुख्त्यार सिंह भले ही अब मुंढाल अड्डïे पर चाय नहीं बनाते लेकिन हुक्का गुडग़ुड़ाते हुए अपने जिगरी दोस्त और राजनीति के सबसे दरियादिल इंसान पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के किस्से जरूर सुनाते हैं। वह चौधरी देवीलाल को याद करते हुए बताते हैं कि मुंढाल के बस अड्डïे के चौक पर वह चाय की दुकान पर काम कर रहे थे। यह बात साल 1964 की है। उनकी दुकान पर सफेद कुर्ता और धोती बांधे साढ़े 6 फुट से भी लंबा एक व्यक्ति सफेद रंग की एम्बैसेडर कार से नीचे उतरा अर पूछा-छोरा तू किसका है? इस पर मैंने जवाब दिया कि मैं मुंढाल का नाइयों का छोरा सूं।

ताऊ ने पूछा-या दुकान तेरी सै के? इस पर मैंने जवाब दिया हां मेरी सै। फिर बोले-मैं चौधरी देवीलाल सूं, मन्ने जाणै सै के? मैंने जवाब दिया-नाम तो आपका ब्होत सुणा सै पर आज पहली बार देखा है। वह बोले-तू सेव बी बणाया करै के। मैंने कहा-सेव साथ वाली रामकुमार की दुकान पर बणवा ल्यो। इतणै मैं आप खातर चाय ले कै आऊं सूं। उस समय चौधरी साहब मेरी दुकान पर आधे घंटे तक ठहरे। इसके बाद तो जीवन पर्यंत यह सिलसिला जारी रहा। वह जब भी इधर से गुजरे, उनकी दुकान पर जरूर आते थे।

मुख्त्यार की चाय पीने के लिए मोड़ दिया था चौधरी देवीलाल ने अपना काफिला
सी.एम. बनने के बाद 1987 में चौधरी देवीलाल दिल्ली से अपने गृह जिले सिरसा के लिए निकले तो उनका काफिला मुंढाल चौक को पार कर गया। कुछ आगे जाते ही चौधरी देवीलाल ने अपना काफिला रुकवाया और गाडिय़ों को वापस मुंढाल चौक पर ले जाकर रोका। चौधरी देवीलाल ने मुख्त्यार की दुकान पर जाकर कहा कि वह भूल गए थे कि मुख्त्यार की दुकान पीछे रह गई है। यह कहकर चौधरी देवीलाल ने मुख्त्यार सिंह को कहा कि ल्या चाय बणा कै ल्या। सी.एम. चौधरी देवीलाल की सुरक्षा में तैनात अमले ने मुख्त्यार की चाय की दुकान के बर्तनों और सामान की जांच शुरू की तो चौधरी देवीलाल ने यह कहकर रोक दिया कि यह मेरा पुराना साथी है। इसकी जांच की जरूरत नहीं। चौधरी देवीलाल ने अपने दोस्त के हाथ की चाय की चुस्की ली और इस दौरान दोस्त का हाल-चाल पूछने के बाद सिरसा के लिए रवाना हो गए। 

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