आम जनता तो क्या, पुलिसकर्मी भी नहीं पहनते हैल्मेट

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 29 Oct, 2018 10:35 AM

what do the common people policemen do not even wear helmets

शहरों में अधिकतर चौराहों पर लगी ट्रैफिक लाइट व सी.सी.टी.वी. कैमरे बंद होने से दुर्घटना का भय बना हुआ है। वैसे तो वाहन चालक रैड लाइट की परवाह ही नहीं करते और रैड लाइट होने के बावजूद भी चौक ....

यमुनानगर(भारद्वाज): शहरों में अधिकतर चौराहों पर लगी ट्रैफिक लाइट व सी.सी.टी.वी. कैमरे बंद होने से दुर्घटना का भय बना हुआ है। वैसे तो वाहन चालक रैड लाइट की परवाह ही नहीं करते और रैड लाइट होने के बावजूद भी चौक पार कर जाते हैं। पता तब चलता है जब जोर से धमाका होता है कि एक्सीडैंट हो गया है। दुर्घटना तो हो गई, घायल भी अस्पताल पहुंच गए। अब इस दुर्घटना का दोषी किसी ठहराया जाए उन वाहन चालकों को जो कि रैड लाइट पार कर जा रहे थे या फिर उन यातायात पुलिस कर्मियों को जो कि ट्रैफिक को लाइटों के सहारे छोड़कर ट्रैफिक बूथ पर जाकर बैठ जाते हैं।

हरी बत्ती होते ही लगती है दौड़
चौराहों पर लगी रैड लाइटें तो राम भरोसे ही रहती हैं। कई जगहों पर तो इनके द्वारा दर्शाई गई समय सीमा भी गलत हो जाती है। पलक झपकते ही समय बदल जाता है। आम तौर पर देखा गया है कि चौराहों पर हरी बत्ती की प्रतीक्षा करते वाहन चालक किसी रेस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हों। हरी बत्ती होने से पहले ही अपने वाहनों को धीरे-धीरे आगे खिसकाना शुरू कर देते हैं। हरी बत्ती हुई नहीं कि मानो मैराथन दौड़ जीतने के लिए टूट पड़ते हैं। कई बार तो वाहन चालक यातायात पुलिस के इशारों की भी परवाह नहीं करते और वाहनों को भगाकर चौराहे पार कर जाते हैं। ऐसे में पुलिस भी बेबस हो जाती है।

90 प्रतिशत पुलिस कर्मी करते हैं यातायात नियमों का उल्लंघन 
अक्सर देखा गया है कि कई पुलिस कर्मी अपने विभाग व वर्दी का दुरुपयोग करते नजर आते हैं। लोगों का कहना है कि उन्होंने लगभग 90 प्रतिशत पुलिस कर्मियों को बिना हैल्मेट पहने और लाल बत्ती पार करते हुए देखा है। ऐसे में यदि किसी पुलिस कर्मी से दुर्घटना हो जाए तो जिम्मेदारी किसकी बनती है। कानून तो सभी के लिए एक समान है। 

सी.सी.टी.वी. पर जमी धूल
शहर के कई चौराहों पर लगे सी.सी.टी.वी. कैमरे भी निष्क्रिया हो चुके हैं। इन सी.सी.टी.वी. पर या तो धूल की परतें जम चुकी हैं या फिर बंद हो चुके हैं।  

जागरूकता अभियान भी फेल
यातायात पुलिस द्वारा शहर के अनेक स्कूलों में जाकर यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं और बताया जाता है कि हैल्मेट पहनकर चलना, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात न करना, ट्रिपल राइडर न करना और ट्रैफिक सिग्रलों के बारे में जागरूक किया जाता है। 

परंतु शायद ऐसे अभियानों का कोई लाभ नजर नहीं आ रहा। अधिकतर देखा गया है कि एक स्कूटी पर 3-3 बच्चे सवार होकर ट्रैफिक नियमों की उल्लंघना करते हुए नजर आते हैं और अधिकतर इन स्कूली बच्चों के पास ड्राइविंग लाइसैंस भी नहीं होते। दुर्घटना हो जाने पर यातायात पुलिस भी असहाय नजर आते हैं। 
 


 

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