जज्बा: दुनिया में भारत का नाम रोशन करने के लिए विष्णु दौड़ेगा 15 हजार किमी

Edited By vinod kumar, Updated: 15 Apr, 2021 08:30 PM

vishnu will run 15 thousand km to brighten the name of india in the world

ना संघर्ष ना मुश्किलें, तो क्या मजा है जीनें में, आंधी-तुफान भी थम जाए ऐसा लक्ष्य बनाओ सीने में, जिंदगी के तरकश में कोशिश का तीर हमेशा जिंदा रख, हार जाए जिंदगी में सब कुछ लेकिन जीतने की उम्मीद हमेशा जिंदा रख। कुछ इन लफ्जों को अपनी जिंदगी में उतारकर...

रेवाड़ी (योगेंद्र सिंह): ना संघर्ष ना मुश्किलें, तो क्या मजा है जीनें में, आंधी-तुफान भी थम जाए ऐसा लक्ष्य बनाओ सीने में, जिंदगी के तरकश में कोशिश का तीर हमेशा जिंदा रख, हार जाए जिंदगी में सब कुछ लेकिन जीतने की उम्मीद हमेशा जिंदा रख। कुछ इन लफ्जों को अपनी जिंदगी में उतारकर मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के सुवासरा का रहने वाला विष्णु खरोले उर्फ वीके इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी रेस दौड़ रहा है। 

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जीत की ललक एवं देश का नाम दुनिया में रोशन करने की इच्छा शक्ति ठानकर विष्णु 15 हजार किलोमीटर से अधिक की रनिंग करने के लिए सड़कों पर उतर चुका है। करीब साढ़े तीन या चार माह में वह रनिंग कर देश के लिए गोल्ड लाने का सपना देख रहा है। यह अलग बात है कि विष्णु को अभी कहीं से भी मदद नहीं मिल रही है ना ही सरकार ना ही देश के लोग अभी तक उसकी मदद को आगे आएं हैं। परिजनों एवं सुवासरा के लोग और वहां के विधायक हरदीप सिंह दंग की मदद के सहारे अपने मकसद में जीत के लिए विष्णु लगातार देर रात तक रनिंग कर रहा है।

देश के बेस्ट धावक एवं देश के लिए गोल्ड लाने वाले मिल्खा सिंह, पीटी उर्षा एवं हिमादास के जीवन से सीख लेकर उसी कदम पर आगे बढ़ने का सपना देखने वाला विष्णु कहता है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी रेस जीतना चाहता है। इसे खेल मंत्रालय को खेल का हिस्सा बनाना चाहिए। जो काम दुनिया के धावक नहीं कर सके वह रनिंग वह जीतकर देश को लिए गोल्ड लाना चाहता हूं। विष्णु का कहना है कि देश का नाम ग्रीनिज बुक ऑफ में लिखा जाए इसके लिए उसकी कोशिश जारी है। विष्णु ने बताया कि वह हर रोज करीब 70 किमी दौड़ रहा है। समय आने पर इसमें भी वृद्धि करुंगा।

ना खाने ना सोने की मिल रही मदद तो देर रात तक करता है रनिंग
विष्णु का कहना है कि वह देर रात तक सिर्फ इसलिए दौड़ता है कि उसे अभी रात बिताने एवं खाने की व्यवस्था खुद ही जुटानी पड़ती है। कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही। देर रात तक इसलिए दौड़ता हूं कि रूकने पर सोने एवं खाने की चिंता सताने लगती है।

5 अप्रैल से अभियान की शुरूआत बाघा बॉर्डर से और भोपाल के भारत भवन पर होगा समापन
विष्णु का कहना है कि तिरंगा ही उसका जीवन है और जिंदगी भी। पांच अप्रैल से अमृतसर के बाघा बार्डर से रनिंग की मुहिम शुरू की थी। अमृतसर से जालंधर, अंबाला, सोनीपत, दिल्ली, गुरुग्राम, रेवाड़ी, जयपुर, कोटा, रतलाम, मुंबई, कन्याकुमारी होते हुए एमपी की राजधानी भोपाल के भारत भवन के सामने उसकी रनिंग अभियान का समापन होगा।

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विधायक व परिजन एवं सुवासरा के लोग कर रहे मदद
इस रनिंग के लिए कोई स्पांसर नहीं मिलने के बाद भी विष्णु निराश नहीं है। उसका कहना है कि उसके अभियान को आगे बढ़ाने में परिवार के साथ ही सुवासरा के लोग मदद कर रहे हैं।  सुवासरा विधायक एवं एमपी कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह दंग ने भी उसका हौंसला बढ़ाया और मदद भी की।

सेना में मौका मिला तो दुश्मनों के दांत खट्टे करने का सपना
विष्णु ने पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए बताया कि हर किसी को अपने जीवन का लक्ष्य बनाना चाहिए। मैं रनिंग कर दुनिया के सामने जहां भारत का नाम करना चाहता हूं वहीं सेना में भर्ती होने का भी सपना है। सेना में यदि सिलेक्शन हुआ तो दुश्मनों के दांत खट्टे कर सीमा को सुरक्षित रखने का सपना भी दिल में संजाए हुए हुं।

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