भाजपा ने इस बार रचा सबसे बड़ा इतिहास, जेजेपी, इनेलो, कांग्रेस पड़ी फीकी

Edited By Shivam, Updated: 25 May, 2019 02:48 PM

victory of bjp in haryana is the biggest history

लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के जीवन काल के 52 साल के  इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। हरियाणा की दस लोकसभा सीट पर विजय हासिल करने वाली भाजपा पहली ऐसी पार्टी है, जिसने हरियाणा की दसों सीटों पर...

डेस्क: लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के जीवन काल के 52 साल के  इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। हरियाणा की दस लोकसभा सीट पर विजय हासिल करने वाली भाजपा पहली ऐसी पार्टी है, जिसने हरियाणा की दसों सीटों पर परचम लहराया हो। इससे पहले सत्ता में रह चुकी कांग्रेस भी अपने रिकार्ड में अधिकतम नौ सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई है, लेकिन 2019 के चुनावों में भाजपा ने हरियाणा से कांग्रेस के साथ कई क्षेत्रीय दलों का भी सूपड़ा साफ कर दिया।

वंशवाद की राजनीति खत्म, बस एक जगह छोड़ दिया अपवाद
भाजपा ने दस लोकसभा सीटों पर एक तरफा जीत हासिल करते हुए हरियाणा में वर्षों से चली आ रही वंशवाद की राजनीति को खत्म किया। हालांकि 16वीं लोकसभा के केन्द्रीय मंत्री बीरेन्द्र सिंह के बेटे बृजेन्द्र सिंह को सत्ता में लेकर आना वंशवाद की राजनीति को खत्म करने को दावों में कहीं न कहीं अपवाद साबित होता है। परंतु इस बार दो राजनीतिक घरानों की छवि भाजपा ने धूमिल कर दी है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पोतों दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला एवं अर्जुन चौटाला व पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय भजनलाल के पोते भव्य विश्नोई की हार से दोनों ही परिवारों के लिए जोर का झटका हो सकता है।

पारिवारिक कलह से कम पड़ गया दुष्यंत का दम
पिछले चुनावों में हिसार लोकसभा सीट पर विजय पाकर संसद पहुंचने वाले दुष्यंत चौटाला को इस बार पारिवारिक कलह के कारण शिकस्त का सामना पड़ा। पिछली बार वे ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल की ओर से सांसद बने, लेकिन पिछले साल ही इनेलो में पड़ी फूट के बाद उन्होंने नई पार्टी बनाकर जेजेपी व आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरे। जिस कारण माना जा रहा है कि उन्हें इस बार हिसार की जनता ने नकार दिया।

पांच सांसदों को संसद भेजने वाली इनेलो चौथे नंबर अटकी
प्रदेश के इतिहास में कभी मुख्यमंत्री और संसद में एक ही कार्यकाल में पांच सांसद भेजने वाली इंडियन नेशनल लोकदल इस प्रदेश में चौथे नंबर रही। इनेलो ने 1999 के चुनावों में पांच सांसद केन्द्र में भेजे थे, परंतु परिवार की फूट ने पार्टी को तहस नहस कर दिया और इस बार प्रदेश में मात्र 1.83 प्रतिशत वोट पाकर इनेलो चौथे नंबर पर जा गिरी।

1967 से 2014 तक का चुनावी इतिहास

  • 1967 में कुल 9 सीटें। जिसमें से 8 सीट कांग्रेस ने 1 सीट भारतीय जनसंघ ने जीती।
  • 1971 में 9 सीटों में से 7 सीट कांग्रेस ने, 1 सीट भारतीय जनसंघ ने और 1 सीट विशाल हरियाणा पार्टी ने जीती।
  • 1977 में 10 सीटे, जो सभी भारतीय लोकदल ने जीती।
  • 1980 में कांग्रेस ने 5 और जनता पार्टी ने 5 सीटें जीती।
  • 1984 में कांग्रेस ने 10 की 10 सीटें जीती।
  • 1989 में 4 सीट कांग्रेस ने और 6 सीट जनता पार्टी ने जीती।
  • 1991 में 9 सीट कांग्रेस ने और 1 सीट हरियाणा विशाल पार्टी ने जीती।
  • 1996 में 4 सीट भाजपा ने, 2 सीट कांग्रेस ने, 3 सीट हरियाणा विकास पार्टी ने और 1 इनेलो ने जीती।
  • 1998 में 4 सीट हरियाणा लोकदल ने, 2 सीट कांग्रेस ने, 1 सीट बीएसपी ने, 1 सीट विकास पार्टी ने और 2 आजाद उम्मीदवार जीते।
  • 1999 में 5 सीट इनेलो ने और 5 सीट भाजपा ने जीती।
  • 2004 में 9 सीट कांग्रेस ने और 1 सीट भाजपा ने जीती।
  • 2009 में 9 सीट कांग्रेस ने और 1 सीट हरियाणा जनहित कांग्रेस ने जीती। 
  • 2014 में 7 सीट भाजपा ने, 2 सीट इनेलो ने और 1 सीट कांग्रेस ने जीती।

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