Edited By Isha, Updated: 14 Sep, 2021 09:03 AM
प्रदेश के किसानों को फसलों के रोगों से बचाव, फसलों के बीच उपचार, मिट्टी जांच व फसल उत्पादन को बढ़ावा देने की तकनीकों से परिचित करवाने के उद्देश्य से भिवानी के बहल स्थित बीआरसीएम शिक्षण संस्थान
भिवानी(अशोक): प्रदेश के किसानों को फसलों के रोगों से बचाव, फसलों के बीच उपचार, मिट्टी जांच व फसल उत्पादन को बढ़ावा देने की तकनीकों से परिचित करवाने के उद्देश्य से भिवानी के बहल स्थित बीआरसीएम शिक्षण संस्थान में हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार द्वारा किसान मेले व किसान गोष्ठी का आयोजन करवाया गया। जिसमें कृषि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर बीआर कंबोज व कृषि वैज्ञानिकों ने क्षेत्र के किसानों को विभिन्न नई कृषि तकनीकों व वर्तमान में कपास की पैदावार को बढ़ाने के बारे में तथ्यपरक जानकारियां दी।
कृषि मेले में खाद, बीज, फसल उपचार, मिट्टी-पानी जांच लैब सहित कृषि यंत्रों की स्टॉलें लगाई गई। जिन पर किसानों ने अपनी फसल उत्पादन को बढ़ाने के बारे में जानकारियां प्राप्त की। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर प्रो. बीआर कंबोज ने किसानों को कृषि में उन्नत तकनीक अपनाएं जाने का आह्वान करते हुए कहा कि किसान को अपनी खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवानी चाहिए तथा इस जांच के आधार पर ही फसल चक्र को अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशों पर कृषि विश्वविद्यालय अन्य कृषि कार्यो से जुड़े संस्थानों से मिलकर प्रदेश में जगह-जगह कृषि मेले का आयोजन कर रहा है। आज आयोजित किसान गोष्ठी व कृषि मेले में विशेष तौर पर दक्षिणी हरियाणा के रेतीले क्षेत्र में बोई जाने वाली कपास की फसल के बारे में विशेष तौर पर जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि रेतीले क्षेत्र में पोषक तत्व कम होते है, ऐसे में कपास की फसल में पत्ते का पीला पडऩा और पत्ते के सूखने की समस्या के चलते किसान पांच से छह: हजार की दवाईयां पौधें पर प्रयोग करते है, जो कि फसल को फायदा पहुंचाने की बजाए नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में किसानों को कपास की फसल की इस समस्या के लिए कृषि विभाग द्वारा जारी एडवाईजरी का पालन करते हुए जिंक व यूरिया का छिडक़ाव पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए करना चाहिए। इसके अलावा बरसात के बाद कोबाल्ट व क्लोराईड का स्प्रे कपास की फसल पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को चाहिए कि वे कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जारी एडवाईजरी को गंभीरता से ले, तब किसानों की ना केवल लागत कम होगी, बल्कि उत्पादन भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि किसानों को फसलों में अंधाधुंध तरीके से दवाईयों व खाद का प्रयोग करने से बचना चाहिए। इससे किसानों को लाभ की बजाए नुकसान होता है। जहां भूमि की उत्पादन क्षमता में कमी आती है, वही किसानों पर आर्थिक मार भी पड़ती है।
इस मौके पर क्षेत्र के किसान मुकेश, पवन व सोमबीर ने बताया कि आज कृषि मेले में उन्होंने अपनी फसलों के बारे में विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की हैं। उन्होंने अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच भी करवाई है। उन्हे कृषि मेले के माध्यम से नई तकनीकों व उन्नत किस्म के बीजों के बारे में जानकारी मिली है। जिसका प्रयोग वे अपनी फसल उत्पादन को बढ़ाने में कर पाएंगे। किसानों ने यह भी अपील की कि इस प्रकार के कृषि मेलों का आयोजन समय-समय पर उनके क्षेत्र में होते रहना चाहिए।
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