गड़बड़झाला: सरकारी के बजाय निजी अस्पतालों में हो रहे अधिकतर डिलीवरी केस, कांट्रैक्ट नर्सों पर तलवार

Edited By Isha, Updated: 05 Jan, 2020 10:49 AM

upset most delivery cases happening in private hospitals instead of government

स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिले में उनके विभाग में ही काम करने वाली महिला आशावर्कर्स गड़बड़झाला कर रही हैं। आशावर्कर अपने-अपने क्षेत्रों में होने वाले डिलीवरी के मामले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

अम्बाला शहर (कोचर): स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिले में उनके विभाग में ही काम करने वाली महिला आशावर्कर्स गड़बड़झाला कर रही हैं। आशावर्कर अपने-अपने क्षेत्रों में होने वाले डिलीवरी के मामले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पी.एच.सी.) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सी.एच.सी.) में लेकर जाने के बजाय निजी अस्पतालों में लेकर जा रही हैं।

निजी अस्पताल में एक केस लेकर जाने पर इन्हें 1500 से 2 हजार रुपए मिलते हैं। उधर, सरकारी पी.एच.सी. और सी.एच.सी. में डिलीवरी के मामले कम आने पर वहां एन.एच.एम. के तहत कार्यरत नर्सों की नौकरी पर तलवार लटक गई है और उन्हें विभाग द्वारा चेतावनी दे दी गई है क्योंकि डिलीवरी केस कम होने पर ये नर्सें अपना महीने का टारगेट भी पूरा नहीं कर पा रही हैं।  दरअसल, आशा वर्करों द्वारा सरकारी पी.एच.सी. और सी.एच.सी. में कोई भी डिलीवरी केस लेकर आने पर सरकार की ओर से कुछ राशि दी जाती थी जोकि काफी कम थी। ऐसे में इन कर्मियों ने अपने मुनाफे के लिए डिलीवरी केस पी.एच.सी. और सी.एच.सी. में लेकर जाने ही बंद कर दिए और महीने में केवल गिने-चुने मामले ही स्वास्थ्य केंद्रों में लेकर जाते हंै। 

नर्सें पूरा नहीं कर पा रहीं अपना टारगेट 
वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के तहत सभी पी.एच.सी. और सी.एच.सी. में 4 से 5 नर्सों को तैनात किया गया है। इन नर्सों को विभाग की ओर से हर महीने कम से कम 10 डिलीवरी करने का टारगेट मिलता है लेकिन कई महीनों से स्टाफ नर्सें अपना यह टारगेट भी पूरा नहीं कर पा रही है। इसके लिए बाकायदा कुछ दिन पूर्व चौड़मस्तपुर सी.एच.सी. के एस.एम.ओ. ने तो माजरी, बोह सहित अन्य पी.एच.सी. केंद्र अधिकारियों को इस बाबत पत्र भी लिखा था। इस पत्र में साफतौर पर लिखा गया था कि उनके केंद्रों द्वारा पिछले कई महीनों से डिलीवरी का टारगेट पूरा नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा नुरपूर, पंजोखरा, नन्यौला, नग्गल और केसरी सहित अन्य केंद्रों में भी यह टारगेट पूरा नहीं हो पाता है। 

कांट्रैक्ट रिन्यूवल में हो सकती है देरी 
एन.एच.एम. में कार्यरत इन महिला स्टाफ नर्सों को सरकार द्वारा कांट्रैक्ट तौर पर नौकरी दी हुई है। हर साल इन कर्मियों का मार्च-अप्रैल में कांट्रैक्ट रिन्यू किया जाता है। लेकिन इस बार जिन स्वास्थ्य केंद्रों में नर्सों ने डिलीवरी केस कम किए हैं उनके कांट्रैक्ट रिन्यू करने में भी देरी हो सकती है। ऐसे में इन कर्मियों की नौकरी पर भी बन आ सकती है।

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