Edited By Shivam, Updated: 04 Jan, 2020 05:47 PM
आरटीआई एक्टिविस्ट एवं मजदूर नेता पीपी कपूर ने 24 सितम्बर 2015 को आरटीआई सबूतों व शपथपत्रों सहित लोकायुक्त को भ्रष्टाचारों की शिकायत की थी। लोकायुक्त के आदेश पर वर्ष 2016 में तत्कालीन एसडीएम समालखा गौरव कुमार ने अपनी जांच में कपूर के सभी आरोपों को...
पानीपत (अनिल कुमार): आरटीआई एक्टिविस्ट एवं मजदूर नेता पीपी कपूर ने 24 सितम्बर 2015 को आरटीआई सबूतों व शपथपत्रों सहित लोकायुक्त को भ्रष्टाचारों की शिकायत की थी। लोकायुक्त के आदेश पर वर्ष 2016 में तत्कालीन एसडीएम समालखा गौरव कुमार ने अपनी जांच में कपूर के सभी आरोपों को सही पाया था। लोकायुक्त रजिस्ट्रार मंजीत सिंह सुल्लर ने भी अपनी जांच में भ्रष्टाचार व घपले के सभी आरोप सही पाए।
लोकायुकत रजिस्ट्रार ने 15 फरवरी 2017 को लोकायुक्त को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में नगरपालिका में व्याप्त घपलों की विजिलैंस जांच कराने की सिफारिश भी की। लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल केस की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के सभी तर्कों को खारिज करते हुए तत्कालीन पालिका चेयरपर्सन सुमित्रा शर्मा, पालिका सचिव श्याम सुंदर दुग्गल व पालिका अभियंता जसवंत सिंह को दोषी पाया।
लोकायुक्त ने जांच में समालखा नगरपालिका की पूर्व चेयरपर्सन सुमित्रा शर्मा, पालिका सचिव श्याम सुुंदर दुग्गल व पालिका अभियंता जसवंत सिंह फर्जीवाड़े के दोषी पाया है। फर्जीवाड़े से सरकार को हुई राजस्व की हानि इन तीनों से वसूलने व सख्त विभागीय कारवाई करके दंडित करने की लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने सरकार को सिफारिश की है। साथ ही की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तीन माह में सरकार से तलब की है। दोषी पाए गए अधिकारियों में पूर्व पालिका चेयरपर्सन सुमित्रा शर्मा, पालिका सचिव श्याम सुंदर दुग्गल व पालिका अभियंता जसवंत सिंह शामिल है।
गौरतलब है कि गत 3 दिसम्बर 2019 को अपने आदेश में लोकायुक्त ने हरियाणा सरकार से जांच में दोषी पाए गए सभी अधिकारियों व पूर्व चेयरपर्सन के विरूद्ध सख्त विभागीय कारवाई करके दंडित करने की सिफारिश की है। सरकार को फर्जीवाड़े से हुए राजस्व हानि की वसूली दोषियों से करने की निर्देश भी दिए हैं।