राजस्थान की पतासी ने सुनाई सुरजकुंड मेले की कहानी

Edited By Deepak Paul, Updated: 08 Feb, 2019 04:36 PM

the story of surajkund mela heard from rajasthan s ptasi

सूरजकुंड मेले को देश -विदेश के हस्तशिल्पियों और कलाकारों का महाकुम्भ कहा जाए...

फरीदाबाद (अनिल राठी): सूरजकुंड मेले को देश -विदेश के हस्तशिल्पियों और कलाकारों का महाकुम्भ कहा जाए तो कोई अतिशोक्ति नहीं होगी। 33 साल पहले 1987 में यह मेला पहली बार अपने वजूद में आया था और आज यह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मेला बन चुका है।  33 साल पहले इस मेले में पहली बार शिरकत करने वाली कठपुतली कलाकार पतासी देवी हर साल इस मेले में हरियाणा टूरिज्म द्वारा मान-सम्मान के साथ बुलाई जाती है। क्योंकि पतासी ही एक मात्र ऐसी कलाकार है जो इस मेले के 33 सालों की गवाह है।

पतासी ने बताया की वह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के नवलगढ़ से है और वह पिछले 33 सालों से इस मेले में शिरकत कर रही है।  हर साल हरियाणा टूरिज्म के अधिकारी उसे बड़े ही मान सम्मान के साथ इस मेले में बुला रहे है। पतासी ने 33 साल पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया की 1987 में यह मेला पहली बार लगा था तब उन्हें यहां भाग लेने के लिए 10 रूपये मिलते थे। उस वक्त करीब सौ हस्तशिल्पी और कलाकार यहाँ आते थे।

पुराने वक्त को याद करती हुई पतासी ने बताया की जिस वक़्त मेला अपने शुरूआती दौर में था तब सूरजकुंड मेले में आने वाले कलाकार मेले के दौरान यहाँ झोपड़ियों में रहा करते थे। आस पास जंगल होने के चलते लोमड़ी, गीदड़ और बंदर आदि जानवर घूमते रहते थे लेकिन आज सूरजकुंड मेला इतना बड़ा हो गया है की इसे अब विश्व में अंतर्राष्ट्रीय मेला कहा जाने लगा है।

पतासी ने आगे बातचीत करते हुए बताया की इस मेले की बदौलत उसके क्राफ्ट को एक प्लेटफार्म मिला और अब तक वह 25 देशो में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। ख़ुशी जाहिर करते हुए पतासी ने बताया की इस मेले से उन्हें इतना लगाव है की इस मेले को देखने मात्र से ही उसका मन खुश हो जाता है। 

उन्होंने बताया की वह कटपुतली का खेल दिखते है और कठपुतलियां और अन्य क्राफ्ट बेचते हैं। वहीँ उसने बताया की वह मेहंदी  बेचने व लगाने का काम भी करती है। पतासी ने बताया की कटपुतली का खेल शाहजहाँ के जमाने से है जब टीवी, रेडियो  ,मोबाइल जैसी चीजे नहीं होती थी। उसने बताया की कठपुतली का जोड़ा घर में लगाना शुभ माना जाता है इसलिए लोग इन्हें खरीदकर ले जाते है। वहीं संतुष्टि जाहिर करते हुए उसने बताया की सूरजकुंड मेले के कारण उसका और उसके परिवार का अच्छा गुजर बसर चल जाता है वहीँ हरियाणा टूरिज्म के अधिकारी भी उन्हें रहने-खाने की अच्छी सुविधाएं देते है।

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