Edited By Manisha rana, Updated: 24 Jun, 2021 08:28 AM
चौटाला की तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद हरियाणा की राजनीति में गर्माहट आ सकती है, क्योंकि चौटाला अब इनैलो के लिए खुलकर मैदान में आ सकते हैं और इतना ही नहीं आंदोलनकारी...
चंडीगढ़ : चौटाला की तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद हरियाणा की राजनीति में गर्माहट आ सकती है, क्योंकि चौटाला अब इनैलो के लिए खुलकर मैदान में आ सकते हैं और इतना ही नहीं आंदोलनकारी किसानों के बीच जाकर धरना भी दे सकते हैं। इनैलो के राष्ट्रीय महासचिव और ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र अभय चौटाला कृषि कानूनों के विरोध में विधायक पद से त्यागपत्र दे चुके हैं। इनैलो से अलग होकर जजपा का गठन हुआ और अब जजपा प्रदेश सरकार में सहयोगी दल है तथा उनके पोते दुष्यंत चौटाला प्रदेश सरकार में डिप्टी सी.एम. हैं।
5 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं ओम प्रकाश चौटाला
ओम प्रकाश चौटाला हरियाणा के 5 बार मुख्यमंत्री रहे हैं। हालांकि 3 बार मुख्यमंत्री कार्यकाल ज्यादा अवधि का नहीं रहा, लेकिन प्रदेश की राजनीति में उन्होंने हलचल मचाए रखी। सबसे पहले वह 2 दिसम्बर, 1989 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वह 171 दिन तक मुख्यमंत्री रहे। दूसरी बार उनका कार्यकाल केवल 5 दिन का रहा। 12 जुलाई, 1990 से 17 जुलाई तक ही वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रह सके। तीसरी बार 22 मार्च, 1991 को वह मुख्यमंत्री बने तो लेकिन केवल 14 दिन ही मुख्यंत्री की कुर्सी पर रह सके। 5 अप्रैल, 1991 को वे कुर्सी से हट गए। चौथी बार वह बंसी लाल सरकार को गिराकर 24 जुलाई, 1999 मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 2 मार्च, 2000 तक यह कार्यकाल पूरा किया और विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर दोबारा सत्ता हासिल की। इस बार चौटाला ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। वे 2 मार्च, 2000 से 5 मार्च, 2005 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
चौटाला की रिहाई के बाद क्या चुनाव आयोग दिखाएगा दरियादिली?
लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 (1) के अनुसार अपनी रिहाई से 6 वर्ष की अवधि तक अर्थात जून, 2026 तक ओम प्रकाश चौटाला कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते है। अपनी रिहाई के बाद चौटाला के पास भारतीय चुनाव आयोग के पास उक्त कानून की धारा 11 में एक याचिका दायर कर अपनी 6 वर्ष की अयोग्यता अवधि को कम करने या पूर्णतया हटाने की प्रार्थना करने का विकल्प है जिसे करने के लिए 3 सदस्यीय चुनाव आयोग कानूनन सक्षम है।
पौने दो वर्ष पूर्व सितम्बर, 2019 में भारतीय चुनाव आयोग ने सिक्किम के वर्तमान मुख्यमंत्री और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के नेता प्रेम सिंह तमांग की भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम, 1988 के अंतर्गत दोषी पाए जाने के कारण उन पर लगी 6 वर्ष के लिए चुनाव लडऩे की अयोग्यता संबंधी अवधि को घटाकर 1 वर्ष 1 माह कर दिया। आयोग ने यह निर्णय तमांग द्वारा जुलाई, 2019 में दायर एक याचिका पर दिया था। उन्होंने बताया कि इससे पहले हालांकि तमांग अगस्त, 2024 तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते थे परंतु 10 सितम्बर, 2019 के बाद वह चुनाव लडऩे के लिए कानूनी सक्षम हो गए।
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