पेड़ लगाने की सजा ने दिलाई शोहरत, मास्टर को बना दिया ट्री-मैन

Edited By vinod kumar, Updated: 06 Jun, 2020 04:51 PM

the punishment for planting trees made the an environment lover

सजा चाहे दो रुपये जुर्माने की हो, या फिर उम्रकैद की, सजा-सजा होती है। हर मुजरिम इसे बेमन ही पूरा करता है। लेकिन एक अध्यापक को 4 साल पूर्व मिली पेड़ लगाने की सजा ने पर्यावरण प्रेमी बना दिया। अध्यापक ने गांवों में इतने पेड़ लगा दिए अब इलाके में इनके...

हांसी (संदीप सैनी): सजा चाहे दो रुपये जुर्माने की हो, या फिर उम्रकैद की, सजा-सजा होती है। हर मुजरिम इसे बेमन ही पूरा करता है। लेकिन एक अध्यापक को 4 साल पूर्व मिली पेड़ लगाने की सजा ने पर्यावरण प्रेमी बना दिया। अध्यापक ने गांवों में इतने पेड़ लगा दिए अब इलाके में इनके ट्री-मैन के रूप हो गई है।

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दरअसल, ढाणा गांव निवासी सुरेंद्र के ऊपर यह आरोप था कि उन्होंने जनवरी 2014 में पेटवाड़ डिस्ट्रीब्यूट्री के किनारे गांव ढ़ाणा कला में आंधी के कारण गिरे दो पेड़ों काे काट दिया। जिसके बाद मई में कुरुक्षेत्र की विशेष पर्यावरण कोर्ट ने उन्हें 500 पौधे लगाने की सजा सुनाई थी। सजा मिलने के बाद उन्होंने किसी आम कसूरवार की तरह सजा काटने की वजाय इस काम को करने में पूरी संजीदगी से किया और 3 गांवों में 500 की बजाये 600 पौधे लगा डाले।

ये सजा सुरेंद्र कुमार के जीवन में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई और अब हर साल वह गांव में पौधे लगाते हैं व दूसरों को भी प्रेरित करते हैं। चार साल पहले लगाए लगाए 600 पौधों में से अब करीब 70 से 80 पौधे छायादार पेड़ का रूप ले चुके हैं और गांव वालों उनके जज्बे को सलाम करते हैं। सुरेंद्र ने बताया कि उन्हें शुरुआत में 500 पेड़ लगाने का काम मुश्किल लगा। लेकिन जब गांव में पौध लगाने की शुरुआत की तो उनके शिष्य व परिवार के लोग साथ आ गए।

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उन्हाेंने कहा कि गढ़ी गांव में उनके भाई टीचर के पद कार्यरत थे, उन्होंने स्कूल में लगाई पौध की देखभाल का जिम्मा संभाल लिया। इसी प्रकार गांव के स्टेडियम में शिष्यों ने व स्कूल में भाभी मुकेश ने पौधों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी उठाई। सुरेंद्र ने खुद के ढाणा गांव, गढ़ी व ढाणा खुर्द तीन गांवों में पौधरोपण किया था। इन गांवों के स्कूलों, स्टेडियम व सरकारी भवनों में पौधे लगाए गए थे। इस मुहिम का नतीजा ये हुआ कि चार साल बाद अब ये पेड़ छायादार पेड़ का रूप ले चुके हैं।

खुद के जेब से खर्च किए थे 20 हजार
कोर्ट ने सुरेंद्र को वन विभाग से 500 पौधे लेकर लगाने की सजा सुनाई थी। सुरेंद्र ने पेड़ लगाने के लिए स्पेशल तीन ट्रैक्टर हायर किए और इस काम पर करीब 20 हजार रुपये अपनी जेब से खर्च भी किए। मास्टर सुरेंद्र कुमार ने कहा कि आज उन्हें गर्व होता है कि गांव में हरे-भरे पेड़ उनके लगाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट ये सजा नहीं सुनाता तो शायद ही अपनी जीवन में कभी इतने पेड़ लगा पाता।  

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