17 साल से फरार 25 हजार का इनामी बदमाश गिरफ्तार, झारखंड में बेच रहा था मुरथल के मशहूर पराठे

Edited By vinod kumar, Updated: 12 Apr, 2021 10:55 AM

the miscreant who is absconding in the robbery case for 17 years was arrested

एसटीएफ सोनीपत की टीम ने लूट के मामले में 17 साल से फरार चल रहे 25 हजार के इनामी बदमाश को झारखंड से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी वर्ष 2004 में जेल से पैरोल लेने के बाद फरार हो गया था। उसने झारखंड में हरियाणा-पंजाब के नाम से ढाबा खोल लिया था और मुरथल के...

सोनीपत (पवन राठी): एसटीएफ सोनीपत की टीम ने लूट के मामले में 17 साल से फरार चल रहे 25 हजार के इनामी बदमाश को झारखंड से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी वर्ष 2004 में जेल से पैरोल लेने के बाद फरार हो गया था। उसने झारखंड में हरियाणा-पंजाब के नाम से ढाबा खोल लिया था और मुरथल के नाम से मशहूर पराठे बनाकर बेच रहा था। यही नहीं आरोपी ने नाम बदलकर वहां पर शादी भी कर ली, उसके दो बच्चे भी हैं। 

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इस बारे एसटीएफ प्रभारी सतीश देशवाल ने बताया कि 7 फरवरी 2000 को गन्नौर में हरियाणा एग्रो सर्विस सेंटर पेट्रोल पंप के मालिक रमेश बत्रा से पिस्तौल व चाकू के बल पर तीन बदमाशों ने लूटपाट की थी। बदमाश रमेश बत्रा के साथ मौजूद नौकर बलदेव को चाकू मारकर 62 हजार रुपये लूट गए थे। रुपये लेकर दो लुटेरे विकास और सुरेंद्र भाग गए थे, जबकि चाकू मारने वाले धर्मेंद्र को लोगों ने मौके से पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। धर्मेंद्र को न्यायालय ने वर्ष 2003 में 20 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद वह वर्ष 2004 में पैरोल पर आकर फरार हो गया था। न्यायालय ने उसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा था।

एसटीएफ के अनुसार धर्मेंद्र ने झारखंड में जाकर अपना नाम बदलकर राजेश कर लिया था। इस नाम की पहचान पत्र बनवाकर वह पहले ट्रक पर हेल्पर रहा। उसके बाद रांची के पास जिला सरायकेला खरसावां के गांव चौलीबासा में हाईवे पर हरियाणा-पंजाब नाम से ढाबा खोल लिया था। उसने मुरथल के ढाबों के नाम पर मशहूर पराठे बनाकर खिलाने शुरू कर दिए। झारखंड में हरियाणा-पंजाब के नाम से ढाबा होने पर एसटीएफ को भी सूचना मिली थी। अपने पराठो की प्रसिद्धी होना ही राजेश के लिए परेशानी बन गया और वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। 

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धर्मेंद्र ने वर्ष 2008 में झारखंड की युवती से शादी कर ली थी। उसके दो बच्चे भी हैं, जिनके साथ वह रह रहा था। पुलिस जांच में सामने आया है कि वर्ष 2004 में फरारी के बाद धर्मेंद्र ने सबसे पहले ट्रक पर हेल्परी शुरू की। वह लंबे समय तक ट्रक पर हेल्परी करता रहा। इस दौरान उसकी जान पहचान चौलीबासा गांव के पास पेट्रोल पंप संचालक से हो गई। उसने पेट्रोल पंप के पास ही तीन हजार रुपये महीना जमीन किराए पर लेकर उसमें ढाबा खोल लिया था, लेकिन अब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। उसे कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। रिमांड में उससे पता लगाया जाएगा कि फरारी के दौरान उसने कोई अपराध तो नहीं किया है।
 

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