आंखे मूंद कर पगड़ी बांधने में माहिर है ये गबरू दस्तार मास्टर, अब तक जीते कई ईनाम(Video)

Edited By Shivam, Updated: 28 Apr, 2018 04:40 PM

करनाल के रहने वाले 17 साल के इस गबरू युवक पर हर सिख को मान होगा क्योंकि आंखों पर पट्टी बांधकर नौजवान 5 मिनट में पगड़ी (दस्तार) बांध लेता है, यह गबरू जवान  10 से 12 तरह की  पगड़ी दस्तार बांधने में माहिर है। कई प्रतियोगिता में इनाम जीत चुका यह युवक...

करनाल(विकास मैहला): करनाल के रहने वाले 17 साल के इस गबरू युवक पर हर सिख को मान होगा क्योंकि आंखों पर पट्टी बांधकर नौजवान 5 मिनट में पगड़ी (दस्तार) बांध लेता है, यह गबरू जवान  10 से 12 तरह की  पगड़ी दस्तार बांधने में माहिर है। कई प्रतियोगिता में इनाम जीत चुका यह युवक अपने विरसे को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है। इसने अबतक 100 से अधिक लोगों को पगड़ी बांधना सिखाया है। वहीं सिख युवकों से अपील भी कर रहा है कि, अपने केस(बालों) का कत्ल न करें, बल्कि सोहनी दस्तार  सजाए क्योंकि पग दस्तार से ही सिख की पहचान होती है।

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दस्तार (पगड़ी) सिखों की आन-बान-शान ही नहीं बल्कि दस्तार का इतिहास बहुत पुराना है, अफगान से लेकर मुगल काल तक और फिर सिख पंथ तक दस्तार आई तो दस्तार की लोकप्रियता और विश्वासनीयता बढ़ गई। लेकिन आज के सिख युवक अपनी इस विरासत को भूलते जा रहे हैं हजारों-लाखो कुर्बानियों के बाद मिली पगड़ी की इस विरासत से आज कल के सिख युवक दूर होते जा रहे हैं। वे केश कटवाकर सिखी की इस विरासत से अपना मुह मोड़ रहे हैं, लेकिन आज हम आपको करनाल के नीलोखेडी के रहने वाले 17 वर्षीय जसविंदर के बारे में बता रहे हैं जो आंखों पर पट्टी बांधकर पगड़ी को 5 मिनट में अपने सर पर सजा लेता है। यह सिख युवक 10 से 12 तरह की पगडिय़ां अपने सर पर बड़े आराम से बांध लेता है।

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जसविंदर ने बताया कि बचपन में पिता को दस्तार बांधते हुआ देखा तो मन में ख्याल आया कि आखिर मैं कब पगड़ी बांधूंगा अपनी माँ की चुन्नी ली और खुद ही पगड़ी बांधने लगा। कोशिश करते करते आज पगड़ी बांधने में माहिर हो चुका हूं। उसने बताया कि पगड़ी के इस विरसे को दूसरे सिख युवक और व्यक्तियों तक पहुंचाने में लगा हुआ है और इसी की चलते वह अब तक कई गावों में जाकर पगड़ी सिखाने के कैम्प के माध्यम से 100 से अधिक सिख युवक और व्यक्तियों को पगड़ी बांधना सिखा चुका है।

जसविंदर ने पगड़ी बांधने की कई प्रतियोगिता में भाग लिया है और अब तक कई इनाम जीता है। पगड़ी के इस विरसे को खास तौर पर उन सिख युवकों तक पहुंचाने में लगा है, जिन्होंने अपने बालों को कटवा दिया है और पगड़ी (दस्तार) से दूर हो चुके हैं।

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