जिला अदालत का ऐतिहासिक फैसला, गवाहों के पलटने के बाद भी दिया इंसाफ

Edited By Updated: 02 Mar, 2017 08:23 PM

the district court  s historic decision

सायबर सिटी गुड़गांव में हत्या के मामले में रिश्तों ने नहीं खून के धब्बों ने दिया साथ। जिला अदालत में दिए गए ऐतिहासिक फैसले में जहां अपनों ने गवाही से मुह मोड़ा तो कानून...

गुरुग्राम (राशि मनचंदा):सायबर सिटी गुड़गांव में हत्या के मामले में रिश्तों ने नहीं खून के धब्बों ने दिया साथ। जिला अदालत में दिए गए ऐतिहासिक फैसले में जहां अपनों ने गवाही से मुह मोड़ा तो कानून ने मौके पर मिले सबूतों और साक्ष्यों को आधार मानते हुए 20 महीने पहले हुए 22 वर्षीय विवाहिता की हत्या के जुर्म में उसी के 28 वर्षीय नन्दोई को आजीवन कारावास का ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तक उदाहरण पेश किया है। ऐसे सभी मामलो के लिए जिसमे अदालतों में गवाहों के बयान से पलटने के बाद न्याय की आस लगभग खत्म हो जाती है। न्याय की आस लिए अदालतों के चक्कर काट कर थक चुके लोगों के लिए यह फैसला एक उम्मीद की किरण जरूर लेकर आएगा।

क्या है मामला
दरअसल मामला 6 जून 2015 का है जब गुड़गांव के नाहरपुर इलाके में किराए के मकान में रह रहे द्वारिका अपने क्वाटर पर पहुंचा तो उसकी पत्नी गुड्डू ने उसे प्रदीप यानी द्वारिका के जीजा द्वारा छेड़छाड़ एवं अश्लील हरकतों की बात कही। लेकिन 22 वर्षीय गुड्डू नहीं जानती थी कि उसकी शिकायत का बदला उसको अपनी जान देकर चुकाना पड़ेगा। दरअसल गुड्डू के पति ने अपने जीजा प्रदीप से जब इस छेड़छाड़ को लेकर बात करनी चाही और उसके सर पर जैसे खून सवार हो गया और उसने गुड्डू को जमीन पर लेटा कर एक के बाद एक कई चाक़ू के वार गुड्डू की सीने और कनपटी के उप्पर करने शुरू कर दिए। प्रदीप का यह खौफनाक खेल गुड्डू की मौत के बाद ही थमा।जब तक द्वारिका अपनी पत्नी को अस्पताल ले जा पाता तब तक 22 वर्षीय गुड्डू की मौत हो चुकी थी।

वारदात के बाद गुड़गांव पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गई और सरकारी वकील के मुताबिक पुलिस ने भी मृतका गुड्डू के पति द्वारिका और एक चश्मदीद के बयान पर हत्यारोपी प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन जैसे जैसे मामला जिला अदालत में अपने अंजाम तक आगे बढ़ता जा रहा था वैसे वैसे चश्मदीद गवाह के बयान से पलटने के सिलसिले शुरू हो गए। हैरानी तो तब हुई जब मृतका का पति भी बहन के घर को बचाने के लिए जिला अदालत में अपने जीजा और उसकी पत्नी के हत्यारे प्रदीप के खिलाफ अपने ही दर्ज करवाये हुए बयानों से पलट गया। लेकिन कहि न कही चाकू पर लगे खून के धब्बे चीख चीख कर हत्यारोपी के खिलाफ गवाही दे रहे थे और कह रहे थे हां यही है दोषी। जज साहब जिसने एक 22 वर्षीय विवाहिता को अपनी नाजायज़ हवस पूर्ति हेतु बेरहमी से क़त्ल कर दिया। जिला अदालत ने भी सरकारी वकील द्वारा पेश किये गए मौके के सबूतों और साक्ष्यों को आधार मानते हुए हत्यारोपी प्रदीप को आजीवन कारावास की सख्त सजा सुना 22 वर्षीय मृतका को तकरीबन 20 महीनों के बाद आखिरकार इन्साफ दे ही दिया। आमतौर पर हत्या लूट अपहरण जैसे मामलों में कोर्ट गवाहों के बयानात के मद्देनज़र अपना फ़ैसला सुनाता है लेकिन गुरुग्राम जिला अदालत का शायद ये पहला ही वाक्या है, जहां मृतका के ख़ून का क़तरा-क़तरा इंसाफ़ की गुहार लगा रहा था। ये इंसाफ़ मृतका के साथ-साथ उन सैकड़ों पीड़ितों के लिए  जो गवाहों के अभाव में न्याय की आस छोड़ देते हैं।

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