पिटारा दिल्ली का खुलेगा, सांसें हरियाणा के नेताओं की अटकीं

Edited By Isha, Updated: 11 Feb, 2020 10:53 AM

the box of delhi will open the breath of the leaders of haryana is stuck

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों को लेकर हरियाणा के भाजपा नेताओं की सांसें अटकी हुई हैं। परिणाम अनुकूल हो या विपरीत चुनाव प्रचार करने गए भाजपा नेताओं ने व्यूह रचना के लिए अपनी

डेस्कः दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों को लेकर हरियाणा के भाजपा नेताओं की सांसें अटकी हुई हैं। परिणाम अनुकूल हो या विपरीत चुनाव प्रचार करने गए भाजपा नेताओं ने व्यूह रचना के लिए अपनी कमर कस ली है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में हरियाणा के नेताओं की ड्यूटी थी यदि इनमें पार्टी को सफलता मिलती है तो श्रेय इन नेताओं को भी आएगा।

यदि पराजय झेलनी पड़ती है तो ठीकरा दिल्ली के संगठन पर फोडऩे की तैयारी है। मंडल अध्यक्ष नहीं थे, कार्यकत्र्ताओं में नाराजगी थी, ऐसे अनेकानेक प्रसंग तैयार हैं। वैसे दिल्ली के जिस विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान हुआ है वहां की बागडोर भी हरियाणा के प्रमुख नेता के हाथ थी।

जहां-जहां चरण पड़े
चुनाव प्रचार की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल करने वाले भाजपा नेताओं के अब पसीने छूट रहे हैं, छोटे-बड़े कार्यकत्र्ता प्रचार की ये तस्वीरें और बड़े नेताओं के साथ अपने फोटो सोशल मीडिया पर डालकर गौरवान्वित हो रहे थे, लोगों पर उनका प्रभाव भी जम रहा था, परंतु अब पार्टी में विरोधियों ने परिणाम से पहले ही यह प्रचार शुरू कर दिया है कि नेताजी के जहां-जहां चरण पड़े हैं वहां पार्टी को कभी सफलता नहीं मिली। एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कार्यकत्र्ता उन निर्वाचन क्षेत्रों की तलाश कर रहे हैं जहां पार्टी में उनके विरोधी प्रचार करने गए थे। परिणाम अनुकूल न रहने पर धज्जियां उड़ाने की तैयारी है

बिन फेरे हम तेरे!
कुछ नेता ऐसे भी थे जिनकी संगठन ने चुनाव प्रचार में ड्यूटी नहीं लगाई तो उन्हें बड़ी निराशा हुई। ऐसे नेता भी चुनाव प्रचार में जा जुटे, उन्होंने निर्वाचन क्षेत्रों की तलाश अपनी पसंद के अनुरूप की और संगठन में यह प्रभाव दिया कि अमुक प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार के लिए उन्हें आमंत्रित किया क्योंकि उस निर्वाचन क्षेत्र में उनके प्रभाव के काफी वोट थे। ऐसे नेताओं में कई बोर्डों और निगमों के चेयरमैन  के अलावा महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के पदाधिकारी भी थे। बिन बुलाए ऐसे नेता भी थे जो अपने सजातीय उम्मीदवारों के यहां डेरा डालकर जमे रहे, अब परिणाम से पहले उनकी भी सांसें अटकी हुई हैं।

हारे हुए मंत्रियों की एक और परीक्षा! 
अपना चुनाव हार चुके हरियाणा के मंत्रियों को अब अपना पुराना रुतबा बहाल करने का एक अवसर दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम से मिलेगा। इन पूर्व मंत्रियों की चुनाव में ड्यूटी अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में लगी हुई थी। यदि पार्टी को उनके क्षेत्रों में जीत मिलती है तो हरियाणा में लगा हार का धब्बा कुछ हद तक मिट जाएगा, वैसे ये मंत्री हरियाणा में अपनी हार के लिए तमाम विरोधियों के एकजुट होने को सबसे बड़ा कारण बताते रहे हैं। वैसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रचार के दौरान इन पूर्व मंत्रियों का महिमामंडन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा उम्मीदवारों को यही कहते रहे कि हमारे इन पूर्व मंत्रियों का हाथ नहीं छोडऩा बस ये तुम्हें जीत दिलाकर रहेंगे।

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