नियमों को ताक पर रखकर हुई थीं नियुक्तियां, चौकाने वाले तथ्य आए सामने

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 12 Apr, 2018 11:04 AM

the appointments were made by keeping the rules in mind

हरियाणा में योग्य युवाओं की नौकरियों पर डाका डालने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की खुद की संवैधानिक वैधता ही संदेह के घेरे में है।आर.टी.आई. के तहत मांगी जानकारी के अनुसार आयोग के चेयरमैन ने ही नियुक्ति के लिए....

चंडीगढ़(ब्यूरो): हरियाणा में योग्य युवाओं की नौकरियों पर डाका डालने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की खुद की संवैधानिक वैधता ही संदेह के घेरे में है।आर.टी.आई. के तहत मांगी जानकारी के अनुसार आयोग के चेयरमैन ने ही नियुक्ति के लिए अंतिम तिथि के करीब डेढ़ माह बाद आवेदन किया था। अन्य सदस्यों ने भी आवेदन फॉर्म में ही कई त्रुटियां की हुई थीं जबकि इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया।अगर नियुक्ति के नियमों का ही पालन नहीं हुआ तो आयोग को वैध कैसे माना जाए।

आर.टी.आई. के तहत आयोग के सदस्यों की तरफ से किए गए आवेदन संबंधित जानकारी मांगी गई तो वह जानकारी चौंकाने वाली है। आयोग के चेयरमैन और सदस्यों के लिए सीधे तौर पर चीफ सैक्रेटरी को आवेदन नहीं किया जा सकता। आवेदन मंडल आयुक्त के पास भेजे जाते हैं। इसके बाद मंडल आयुक्त पात्र आवेदक की सिफारिश प्रधान सचिव को भेजते हैं। 

आयोग के सदस्यों के आवेदन फॉर्म पर मंडल आयुक्तों की मोहर तक नहीं है। जिससे यह साफ हो जाता है कि नियुक्तियों में नियमों की कोई पालना नहीं की गई। आर.टी.आई. से उपलब्ध जानकारी के अनुसार आयोग में नियुक्तियों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसम्बर, 2014 थी। यानी इसके बाद किए जाने वाले आवेदन मान्य नहीं थे। 

आयोग के अध्यक्ष भारत भूषण गोगिया के आवेदन पर 23 फरवरी, 2015 तिथि है। उन्होंने अंतिम तिथि के करीब डेढ़ माह बाद आवेदन किया था। नियमानुसार उनका आवेदन निरस्त होना चाहिए था लेकिन उन्हें आयोग का चेयरमैन बना दिया गया। इसी तरह आयोग के सदस्य नीलम अवस्थी ने अंतिम तिथि के 19 दिन बाद यानी 19 जनवरी, 2015 को आवेदन किया था। जो नियमानुसार स्वीकार नहीं किया जाना था। इसके बाद भी उनके आवेदन फॉर्म को स्वीकार कर सदस्य बना दिया गया।

दिलचस्प बात यह है कि आयोग के सदस्य अमरनाथ के आवेदन फॉर्म पर कोई तिथि ही अंकित नहीं है। कोई भी आवेदन फॉर्म बिना तिथि के मान्य नहीं होता। इसके बावजूद अमरनाथ को सदस्य बनाने में कोई संकोच नहीं किया गया था। ऐसा ही मामला एक अन्य सदस्य भोपाल सिंह का है। उसके आवेदन फॉर्म पर तो फोटो तक नहीं है। हालांकि अमरनाथ ने अंतिम तिथि से पहले ही आवेदन किया था लेकिन बिना फोटो के आवेदन को वैध मान लिया गया। 

जब आयोग के गठन में ही नियमों को ताक पर रखा गया था तो इसकी भूमिका खुद ही संदेह के घेरे में आ रही है। खास बात यह भी है कि कुछ समय पहले भारत भूषण भारती के बेटे पर पैसों के लेन-देन के आरोप वाला एक ऑडियो वायरल हुआ था। उसके बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला था। सी.एम. ने कोई कार्रवाई करने की बजाय चेयरमैन का कार्यकाल और बढ़ाकर विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब अपने ही अंदाज में दे डाला। 

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