सुरजेवाला की अध्यक्षता में ‘रोजगार बचाओ-हरियाणा बचाओ’ धरना आज

Edited By Deepak Paul, Updated: 18 Apr, 2018 11:20 AM

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रोजगार बचाओ-हरियाणा बचाओ धरना कल 12.30 बजे सैक्टर-5 पंचकूला में प्रभारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व विधायक कैथल चौ. रणदीप सिंह सुरजेवाला की अध्यक्षता में होगा। हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस, हरियाणा किसान खेत मजदूर कांग्रेस व हरियाणा कृषक समाज के...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): रोजगार बचाओ-हरियाणा बचाओ धरना कल 12.30 बजे सेक्टर-5 पंचकूला में प्रभारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व विधायक कैथल चौ. रणदीप सिंह सुरजेवाला की अध्यक्षता में होगा। हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस, हरियाणा किसान खेत मजदूर कांग्रेस व हरियाणा कृषक समाज के तत्वावधान में होने वाले इस धरने की जानकारी देते हुए हरियाणा कृषक समाज के प्रवक्ता भूपिन्द्र सिंह बूरा (भुप्पी) ने कहा कि नौजवानों से खिलवाड़ हुआ है। 

2 लाख नौकरी देने का वायदा किया गया था और नौकरी 2 ही तरीके से दी जा सकती है या तो निजी क्षेत्र या सरकारी क्षेत्र में। पिछले 4 वर्ष के अंदर कोई निवेश नहीं हुआ है बल्कि पलायन जरूर हो गया है। मारुति और होंडा जैसी बड़ी कम्पनियां गुजरात चली गईं। निजी क्षेत्र में नौकरियां नहीं मिलीं और सरकारी क्षेत्र में जहां तक रोजगार की बात है उसमें एच.एस.एस.सी. ने युवाओं के साथ भद्दा मजाक किया है।

मुख्यमंत्री खट्टर को नैतिक तौर पर इस्तीफा दे देना चाहिए
बूरा ने कहा कि अभी तक कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन और सदस्यों पर एफ.आई.आर. दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार करने की भी हिम्मत नहीं जुटाई गई है। घोटाले से जुड़े पर्दे के पीछे छिपे आरोपी आयोग कार्यालय में अपने आपको बचाने के लिए रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं लेकिन सरकार केवल जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री यदि न्यायिक जांच नहीं करवाते तो इसका मतलब साफ होगा कि वह घोटाले के आरोपियों को संरक्षण देने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें अपने पद पर बने रहने का नैतिक हक नहीं रह गया है। ऐसे में उन्हें तुरन्त इस्तीफा दे देना चाहिए।

एच.एस.एस.सी. ने लूट का कीर्तिमान स्थापित किया
बूरा ने कहा कि एच.एस.एस.सी. के लोगों ने बेलगाम होकर जैसे लूट का कीर्तिमान स्थापित किया है उसकी जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री की होनी चाहिए, उन्होंने ही एच.एस.एस.सी. की चेयरमैन को एक्सटेंशन दिलवाई। 9 महीने से भर्ती मामले में गड़बड़ी की जो बाढ़ आई थी वह तब से शक के घेरे में थे, फिर भी इस चेयरमैन को एक्सटेंशन दिलाई इसलिए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बनती है। वह इस सारे मामले से अपना पीछा नहीं छुड़वा सकते। यह नहीं है कि मुख्यमंत्री जो अपनी बात कहें और हम उनकी बात को सुनकर कि उन्होंने फैसला सुना दिया चुप रहें। देश के संविधान में ऐसा कोई रूल नहीं है, निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए।

बूरा ने कहा कि नौकरी घोटाले में गिरफ्तार आरोपियों से हो रहे कथित खुलासों से साफ हो गया है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में नौकरियों की बोली लगाने वाले रैकेट के हाथ बेहद लंबे थे और तार कमीशन के चेयरमेन, सदस्यों, सचिव के अलावा पुलिस, स्वास्थ्य और वित्त विभाग से भी जुड़े थे। यह केवल पूरी तस्वीर का छोटा-सा हिस्सा है और इस मामले में अभी असली खुलासा होना बाकी है। अगर इस नौकरी घोटाले की निष्पक्षता से जांच हो तो बड़े-बड़े चेहरे बेनकाब होंगे।

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