Edited By Shivam, Updated: 29 Jul, 2019 02:44 PM
किसी के दिल में कुछ नया कर गुजरने का जुनून हो तो सफलता अवश्य उसके पांव चूमती है। हरियाणा के करनाल निवासी नितिन ललित ने अपने तेज दिमाग और युवा हाथों से ऐसा ही कारनामा कर दिखाया। इसके लिए उसने ना केवल कनाडा जैसे विकसित देश में एक अच्छे करियर को छोड़...
करनाल (केसी आर्या): किसी के दिल में कुछ नया कर गुजरने का जुनून हो तो सफलता अवश्य उसके पांव चूमती है। हरियाणा के करनाल निवासी नितिन ललित ने अपने तेज दिमाग और युवा हाथों से ऐसा ही कारनामा कर दिखाया। इसके लिए उसने ना केवल कनाडा जैसे विकसित देश में एक अच्छे करियर को छोड़ अपने देश में वापसी की, बल्कि मन में जो कुछ ठाना था, उसे साकार किया। इसके पीछे नितिन ललित की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
नितिन ने बताया कि विदेश में कुछ सीखने की ललक से वर्ष 2007 में कनाडा का रूख कर ऑटोमोबिल मैन्यूफैक्चरिंग में स्पेसेलाईजेशन की और इसी फील्ड में काम करना शुरू किया। फिर वर्ष 2009 में व्यापारिक मंदी के आने से जॉब चली गई और एक स्थानीय गैरेज में काम मिल गया। नितिन अब पूर्ण मेकैनिक बन चुका था और उसी के चलते विश्व स्तरीय जनरल मोटर्स में अप्लाई किया और करीब 4 साल तक बतौर सर्टिफाईड मेकैनिक कम्पनी में काम किया।
दिन गुजरते गए और वर्ष 2016 तक कनाडा में प्रवास किया। इन्हीं दिनों नितिन को मालूम हुआ कि इंडिया में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विजनरी सरकार है, जिसमें युवाओं के लिए अनेक अवसर संजोय गए हैं, बस यहीं से मुझे स्वदेश आने की सूझी तथा विचार आया कि अपने ही मुल्क में ऐसा कुछ करें, जो युवाओं के लिए प्रेरणादायी बन सके।
नितिन ने बताया कि विजनरी सरकार में स्टार्टअप, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे सुअवसर अपनाने के व्यापक रास्ते थे, लेकिन विचार आया कि अपने देश में प्रकृति की अनमोल नेमत पानी की इनती बर्बादी है, जिसका अनुमान लगाना भी कठिन है और यदि इसे नहीं बचाया गया, तो आने वाले पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। बस यही विचार मन में घर कर गया और जल संरक्षण के लिए कुछ इनोवेटिव करने की सोची, जो अब मेरा कर्म क्षेत्र बन गया है।
नितिन ने प्लास्टिक वेस्ट से ऐसे गमले बनाए हैं, जिनमें 15 दिन पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती, जो नगर निगम पायलट प्रोजेक्ट के तहत शहर की सुंदरता बढ़ाएंगे। ये गमले 15 अगस्त पर सड़कों किनारे पोल पर भी लगाए जाएंगे।
नितिन ने इस बारे में बताया कि इंडिया में गमलों में सजावटी पौधे लगाना आम बात है, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि इनसे लाखों लीटर पानी की बर्बादी भी है, जिसे बचाया जा सकता है और इसी विचार को मूर्तरूप देने में जुट गए। वेस्ट प्लास्टिक को रिसाईकिल कर उसकी डिजाईन युक्त शीट तैयार की गई, जिसे मोड़कर विभिन्न आकार के गमले आसानी से बनाए जाने का प्रयोग किया।
नितिन ने अपने प्रयोग में गमले की सतह पर एक अन्य डिजाईन में जल संचय के लिए तश्तरीनुमा जलाश्य फिट किया। नारियल का बुरादा, चावल मिल की ऐश और वर्मिंग कम्पोस्ट के मिश्रण से तैयार खाद को गमले में डालकर उसमें पौधे लगाए और सामान्य गमलों में डाले जाने वाले पानी की तुलना में एक चौथाई पानी ही डाला। धीरे-धीरे पौधे ने जड़ो के जरिए पानी लेकर अपनी ग्रोथ शुरू की और कुछ समय बीत जाने के बाद एक स्वस्थ पौधा तैयार हो गया।
इसी प्रयोग को कुछ बड़े पैमाने पर शुरू करने की सूझी। इसके लिए एक बड़े प्लॉट की जरूरत थी। शहर के दक्षिणी हिस्से में एक खाली पड़े राईस मिल का परिसर किराए पर लिया और पौधों की नर्सरी बनाई, जिसमें सजावटी फूलदार और फलदार पौधे तैयार किए, जो अब अच्छी खासी संख्या में यहां हैं।
नितिन ने बताया कि बीते नवम्बर में पूना में फूलों व पौधों की एक विशाल प्रदर्शनी लगी थी, जिसमें उसने पार्टिसिपेट किया। गमलों और पौधों को देखकर मुझे प्रशस्ति पत्र मिला। जिसके बाद निगम उपायुक्त धीरज कुमार को ये स्टार्टअप काफी अच्छा लगा, जो स्वयं जल की बर्बादी और प्लास्टिक वेस्ट के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।
उपायुक्त ने बताया कि इस स्वतंत्रता दिवस पर इनके गमलों को शहर की मुख्य सड़कों पर बिजली पोल पर लगाया जाएगा, जिससे शहर की सुंदरता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि नितिन ललित जैसे युवा ने अपनी सोच और मेहनत के बल पर जो कुछ कर दिखाया है, उससे यह साबित होता है कि पढ़े-लिखे युवाओं को केवल नौकरी के पीछे नहीं भागना चाहिए। युवा ऐसा कुछ करें, जैसा नितिन ने अपनी ईनोवेटिव सोच और लगन से अपना खुद का मुकाम हासिल किया।