अब बिना चीरा टांका लगाए मरीज की किडनी से निकाली जाएगी पथरी, ऐसे होगा ऑपरेशन

Edited By vinod kumar, Updated: 18 Jan, 2020 07:48 PM

stones being removed from the patient s kidney without making an incision

फौज में शामिल होने के लिए तैयारी करने वाले वे युवा जिनकी किडनी में पथरी है और वो भर्ती के दौरान मेडिकल फिट सर्टिफिकेट न दिखा पाने से सेना जॉइन नहीं कर पाते हैं। ऐसे युवाओं को अब निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में...

रोहतक: अब किडनी की पथरी निकालने के लिए ऑपरेशन करते समय न चीरा लगेगा और न ही टांका, क्योंकि एक नई तकनीक से सर्जरी की जाएगी। पीजीआईएमएस रोहतक स्थित लाला श्याम लाल अति विशिष्ट चिकित्सा केंद्र के यूरोलॉजी विभाग में मरीजों की रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी शुरू हो गई है।

इसके तहत मरीज की किडनी में जमा पथरी का उपचार अब बिना चीरा व टांके के दूरबीन से होगा। यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र सिंह पंवार ने बताया कि संस्थान में रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी में किडनी से पथरी निकालने के लिए रेनोस्कोप को यूरिन के रास्ते से किडनी तक पहुंचाया जाता है और लेजर पथरी के टुकड़े-टुकड़े करके बाहर निकाल देता है। सर्जरी के अगले दिन मरीज अपनी सामान्य दिनचर्या कर सकता है।

डॉ. पंवार ने बताया कि यह तकनीक उन मरीजों के लिए भी फायदेमंद है, जिनको फौज में भर्ती होना है। किडनी में स्टोन होने के चलते मेडिकल फिटनेस का सर्टिफिकेट नहीं मिल पाता। इस तकनीक से व्यक्ति दो दिन में फिट हो जाता है। यह तकनीक प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं है और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में इस तकनीक से ऑपरेशन कराने का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपये आता है।

इस तकनीक को संस्थान में शुरू करने का सारा श्रेय कुलपति डॉ. ओपी कालरा, कुल सचिव डॉ. एचके अग्रवाल, निदेशक डॉ. रोहतास कंवर यादव व चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एमजी वशिष्ठ को जाता है। डॉ. देवेंद्र ने बताया कि उनके साथ उनकी टीम में डॉ. जीवन, डॉ. मृंगाक व डॉ. दीपक मरीजों का उपचार कर रहे हैं और हर मंगलवार, बृहस्पतिवार व शनिवार को वह ओपीडी क्लीनिक में मरीजों की जांच करते हैं।
इन तकनीकों से भी होता है उपचार

1. ईएसडब्लूएल : इस तकनीक में मरीजों की एक से डेढ़ सेमी की पथरी को शॉक वेव के माध्यम से बिना किसी चीरे या टांके के खत्म किया जाता है।
2. पीसीएनएल : इसमें दूरबीन से छेद करके बड़े साइज की पथरी निकाली जाती है।
3. मिनी पिसीनल : इसमें बहुत पतली दूरबीन व बहुत ही महीन छेद के माध्यम से किडनी से पथरी निकाली जाती है, इसमें एक सेमी तक की पथरी निकलती है और इसमें एक टांका भी लगाना पड़ता है।
4. यूआरएस : इस तकनीक से गुर्दे की नली की पथरी निकाली जाती है। इसमें पतली दूरबीन द्वारा बिना चीरे के आपरेशन किया जाता है, परंतु इसमें किडनी तक नहीं पहुंचा जा सकता।

यह भी जानें
- एक मरीज के लेजर से ऑपरेशन में लगता है एक से डेढ़ घंटा
- दस से 12 एमएम तक पथरी निकालना होता है आसान
- साल में 18000 मरीजों की होती है ओपीडी में जांच
- वीरवार व रविवार को छोड़ कर हर दिन विभाग करता है मरीजों का ऑपरेशन
- पांच से छह घंटे मिलता है सर्जन को ऑपरेशन थियेटर में समय

डॉ. ओपी कालरा, कुलपति, पीजीआईएमएस ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के सहयोग से पीजीआईएमएस के यूरोलॉजी विभाग में मरीजों को उच्च गुणवत्ता से इलाज करने के लिए सभी नवीनतम मशीनें उपलब्ध हैं। इसी के तहत यूरोलॉजी विभाग में किडनी से पथरी निकालने के लिए लेजर सुविधा शुरू हुई है।

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