लिंगानुपात के मामले में पंजाब से बेहतर हरियाणा की स्थिति

Edited By Deepak Paul, Updated: 03 Jan, 2019 10:09 AM

status of haryana better than punjab in case of gender equality

भारत में कन्या भ्रूण हत्या का इतिहास बहुत पुराना है। ङ्क्षलग दर अनुपात की प्राकृतिक दर 103 एवं 107 के बीच आंकी जाती है अर्थात 107 पुरुषों के पीछे 103 महिलाएं होनी चाहिएं। देश के महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं हरियाणा सरीखे राज्यों में...

अम्बाला(मीनू): भारत में कन्या भ्रूण हत्या का इतिहास बहुत पुराना है। ङ्क्षलग दर अनुपात की प्राकृतिक दर 103 एवं 107 के बीच आंकी जाती है अर्थात 107 पुरुषों के पीछे 103 महिलाएं होनी चाहिएं। देश के महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं हरियाणा सरीखे राज्यों में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले कम है। इसी क्रम में सुधार करते हुए हरियाणा ने अपनी स्थिति कुछ हद तक संतोषजनक कर ली है और अपने साथ-साथ पड़ोसी राज्य पंजाब में भी गर्भ में पल रही बेटियों को बचाने हेतु प्रयासरत है।

2011 की जनगणना में हरियाणा में सबसे खराब लिंगानुपात (830) था, जबकि पंजाब दूसरे स्थान (842) पर था। 2017 तक, हरियाणा 914 पर पहुंच गया, जबकि पंजाब केवल 892 पर रहा। इसका मतलब यह था कि प्रत्येक 1,000 पुरुषों के लिए केवल 830 महिलाएं हरियाणा में और 846 पंजाब में पैदा हुई थीं। अब लगभग 3 साल से हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग की टीमें पंजाब में अवैध लिंग निर्धारण करने वाले अल्ट्रासाऊंड केंद्रों पर छापेमारी कर रही हैं। जुलाई 2015 और सितम्बर 2018 के बीच, हरियाणा ने पंजाब में ङ्क्षलग निर्धारण के 30 मामलों का खुलासा किया है। 

2011 की जनगणना के आंकड़ों ने दोनों राज्यों को बैठकर कार्य करने के लिए प्रेरित किया और परिणाम यह हुआ है कि दोनों राज्यों ने ङ्क्षलगानुपात के आंकड़ों में एक उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में, जबकि हरियाणा ने अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, पंजाब की फजीहत हुई है। 2017 में, हरियाणा ने 914 के जन्म (सत्र) में ङ्क्षलगानुपात देखा, जबकि पंजाब 892 पर था।

हरियाणा में हुआ सुधार
2012 में हरियाणा ने 832 ङ्क्षलगानुपात दर्ज किया। 2013 में, संख्या 868 तक पहुंच गई, फिर 2014 में 871 हो गई। वृद्धि 2015 तक हाशिए पर रही, जब राज्य ने 876 का जन्म के समय ङ्क्षलगानुपात दर्ज किया। 2016 तक यह संख्या 900 तक पहुंच गई थी और 2017 में यह बढ़कर 914 हो गई। मार्च 2018 तक, यह 928 को छू गई।

पंजाब पिछड़ गया
जहां हरियाणा ने लड़कियों की जन्म दर संख्या में अच्छी वृद्धि की है वहीं पंजाब इनमें पिछड़ गया है। 2011 में 846 के जन्म के ङ्क्षलगानुपात से यह 2015 में 37 अंक बढ़कर 883 हो गया और फिर 2016 में 888, 2017 में 892 और अंत में अगस्त 2018 में 900 का आंकड़ा पार करते हुए 903 दर्ज किया। हालांकि, इस क्रमिक सुधार के बीच जिलेवार आंकड़ों से पता चलता है कि 2011 में पंजाब के किसी भी जिले में ङ्क्षलगानुपात 800 से कम नहीं था। 2017 तक, केवल 8 जिलों में 900 को पार किया गया था। पंजाब ने 1994 में पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम के लागू होने के बाद से सिर्फ 165 मामले दर्ज किए हैं और केवल 31 मामलों में सजा हुई है।

वर्ष 2011 में लिंगानुपात
राज्य    लड़के    लड़कियां
हरियाणा    1000    830
पंजाब    1000    842

वर्ष 2017 में लिंगानुपात
राज्य    लड़के    लड़कियां
हरियाणा    1000    914
पंजाब    1000    892
 

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