लम्पी बीमारी की चपेट में आई 2 हजार गाय, 35 ने तोड़ा दम

Edited By Gourav Chouhan, Updated: 07 Aug, 2022 06:21 PM

2000 cows came in the grip of lumpi disease 35 cows died

यमुनानगर में दडवा डेयरी कांप्लेक्स में लंबे समय से भरा हुआ गोबर युक्त पानी अब लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। गलियों में भरे हुए गोबर से कई बीमारियों को जन्म मिल रहा है।

यमुनानगर(सुमित): यमुनानगर में दडवा डेयरी कांप्लेक्स में लंबे समय से भरा हुआ गोबर युक्त पानी अब लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। गलियों में भरे हुए गोबर से कई बीमारियों को जन्म मिल रहा है। जिले में लम्पी बीमारी के फैलने से 2000 के करीब गाय, उसकी चपेट में आ चुकी है और 35 गाय इस बीमारी से दम भी तोड़ चुकी है। डेयरी संचालकों ने आरोप लगाया कि कई बार प्रशासन को इसके बारे में शिकायत भी की है, लेकिन अब तक प्रशासन और पशु पालन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

 

बिना बरसात के गलियों में दो से तीन फीट तक भरा हुआ पानी यमुनानगर के दडवा डेयरी कांप्लेक्स का है। यहां की नालिया पूरी तरह से गोबर से अटी पड़ी है। इन नालियों से लेकर बड़े नालो तक पानी की निकासी संभव नहीं है। पशु पालन व निगम एक दूसरे पर आरोप लगा रहा है। गौरतलब है कि दडवा डेयरी कांप्लेक्स में पानी की निकासी न होने के कारण पशु बीमार हो रहे है। तो वही लम्पी बीमारी ने डेयरी कॉम्प्लेक्स में अपना पांव पसारने शुरू कर दिए है। डेयरी संचालको भी इसको लेकर कई बार प्रशासन से लेकर निगम अधिकारियों को इसकी शिकायत दी चुके है, लेकिन अभी तक प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा की जिले में लगभग 2000 के करीब गाय इस बीमारी की चपेट में है। 35 गाय इस बीमारी से दम तोड़ चुकी है। हालात यह है कि इस बीमारी की चपेट में आई गाय अभी भी जिंदगी और मौत के बीच जंग लड रही है। ज्यादातर गाय अब उठ भी नहीं पा रही और ऐसे में डेयरी संचालक उन गायों को लेकर भी काफी चिंतित है और इन बातों को लेकर डेयरी संचालकों को दोहरी मार पड़ती दिखाई दे रही है। डेयरी कांप्लेक्स के हालात देख कोई, यहा आना भी पसंद नही कर रहा है और लोगों ने अब इन डेयरी संचालको से दूध भी लेना बंद कर दिया है।

 

दडवा डेयरी कंप्लेक्स में पैदल कोई चल नही सकता और जो अस्पताल है, उसमें कभी कोई डॉक्टर बैठा ही नहीं लिहाजा अब इन पशु मालिकों को लग रहा है कि उनके जानवर कही अपनी जान से हाथ न धो बैठे फिल्हाल निगम के मेयर भी इस मामले में कही न कही डेयरी संचालकों को ही पानी के ठहराव के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे है, क्योंकि नालियों में सीधे गोबर जाने से पानी की निकासी नहीं रही। मेयर ने कहा की लगभग 2000 पशु इस बीमारी की चपेट में आए है। उन्होंने कहा की निगम इसको लेकर गंभीर है और इस में अब टीमों का गठन किया गया है। टीम को वहां जाकर सभी पशुओं को टीकाकरण करने के आदेश भी दिए हैं।

 

ऐसे में अब पशु संचालक यह सोच रहे है कि जाए तो कहा जाए। एक तरफ लाइलाज बीमारी तो दूसरी तरफ गलियों में खडा गंदा पानी हालात यह है कि डेयरी कांप्लेक्स में लगा जन स्वास्थ्य विभाग की ट्यूबवेल भी गोबर की भेंट चढ़ चुका है और यह सब लापरवाही के चलते ही हुआ है। जिसको अब निगम जल्द ही हल करने की बात कह रहा है। वही निगम का दावा है कि बीमारियों से बचने के लिए डॉक्टरों की टीम का गठन कर दिया है और पानी की निकासी के लिए निगम की टीमों को गांव में भेज दिया है, ताकि पानी की निकासी जल्द से जल्द हो सके।

 

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