स्थापना दिवस पर विशेष: दिग्विजय ने सामाजिक सरोकारों से जोड़ा, अब हर जगह लिया जाता है इनसो का नाम

Edited By Shivam, Updated: 04 Aug, 2020 08:22 PM

special on foundation day now the name of inso is taken everywhere

5 अगस्त 2003 को उस वक्त के भिवानी से सांसद अजय सिंह चौटाला ने जब इंडियन नेशनल स्टूडेंट एसोसिएशन की स्थापना की थी तो उनका मकसद मुख्य रूप से युवाओं को मुख्यधारा वाली राजनीति के लिए तैयार करने का अवसर देने का था। दिल्ली में देश स्तर की राजनीति को करीब...

चंडीगढ़ (धरणी): 5 अगस्त 2003 को उस वक्त के भिवानी से सांसद अजय सिंह चौटाला ने जब इंडियन नेशनल स्टूडेंट एसोसिएशन की स्थापना की थी तो उनका मकसद मुख्य रूप से युवाओं को मुख्यधारा वाली राजनीति के लिए तैयार करने का अवसर देने का था। दिल्ली में देश स्तर की राजनीति को करीब से देख चुके अजय सिंह चौटाला जानते थे कि भविष्य युवाओं का है और राजनीति व सरकार चलाने में युवाओं की हिस्सेदारी जरूरी है। 17 साल के सफर में इनसो ने हरियाणा की राजनीति में अपना असर भी दिखाया है और सामाजिक कार्यों के जरिये लोगों की सेवा भी की है।

इनसो ने यूं तो 2003 में गठन के बाद से ही विभिन्न स्तर पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी थी लेकिन इसे सही रफ्तार 2013 में तब मिली जब दिग्विजय चौटाला इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। पिता और दादा के जेल चले जाने के बाद पैदा हुए मुश्किल हालात में 23 वर्षीय दिग्विजय चौटाला ने युवाओं के चौधरी देवीलाल की विचारधारा से जोड़े रखने का मुश्किल काम अपने कंधों पर लिया और पूरे हरियाणा की यात्रा की। लगभग एक महीने चली इस यात्रा के जरिए दिग्विजय ने हरियाणा के छात्रों की समस्याओं को समझा और हजारों युवाओं को अपने साथ जोड़ा।

उसी साल इनसो का नाम पूरे देश में उस वक्त छाया जब इसके 10 हजार कार्यकर्ताओं ने रोहतक में एक विशाल कार्यक्रम कर स्वैच्छिक अंगदान की शपथ ली और सहमति पत्र भरा। इस उपलब्धि के लिए इनसो को लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में जगह मिली और सभी जगह इस कदम की भूरी भूरी प्रशंसा हुई। 

इसके बाद भी इनसो ने नशा मुक्ति, छात्राओं का बस किराया माफी, छात्र संघ चुनाव और छात्राओं की सुरक्षा जैसे कई विषयों पर लगातार अभियान चलाए। बीते वर्ष 2019 के स्थापना दिवस पर जहां इनसो ने नशे के खिलाफ बिगुल बजाया था तो इस वर्ष भी कई सामाजिक सरोकारों के साथ लोगों के बीच स्थापना दिवस मनाया जा रहा है।

युवा दिग्विजय चौटाला के नेतृत्व में 7 साल से इनसो विभिन्न सामाजिक सरोकारों को छूती आ रही है। इस वर्ष कोरोना वायरस के चलते जब अस्पतालों में रक्तदान के लिए जाने से लोग कतराने लगे और ब्लड बैंकों में रक्त की कमी की जानकारी जब इनसो प्रभारी रणधीर चीका और प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप देसवाल को मिली तो विशेष तौर पर आह्वान कर 5000 रक्त यूनिट एक ही दिन में इक_ा कर अस्पतालों को दिया गया। इस पुनीत कार्य में डॉ अजय सिंह चौटाला, खुद दिग्विजय चौटाला और विधायक भी आगे आए और रक्तदान किया। 

वहीं मॉनसून का महीना होने की वजह से यह समय पौधारोपण के लिए भी उपयुक्त है। इसे ध्यान में रखते हुए लगभग 15 हजार पौधे इनसो के कार्यकर्ताओं और जेजेपी से जुड़े लोगों ने लगाए हैं। कोविड प्रकोप के संदर्भ में गांवों और शहरों की कॉलोनियों को सैनेटाइज करना, मास्क व सैनेटाइजर का वितरण आदि भी सामाजिक सरोकारों की इसी कड़ी का हिस्सा हैं और वक्त की जरूरत भी, जिसे इनसो बखूबी पूरा कर रही है।

जननायक चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी के युवा नेता दिग्विजय चौटाला की एक नजर जहां छात्र हितों और युवाओं को सामाजिक कार्यों में जोडऩे पर है, दूसरी ओर उनका ध्यान इस बात पर भी रहता है कि युवाओं को मुख्यधारा की राजनीति में भूमिका के लिए तैयार किया जाए। अपने कड़े प्रयासों से जहां उन्होंने प्रदेश में 23 साल बाद छात्र संघ चुनाव शुरू करवाए। वहीं लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी सर्वाधिक युवाओं को टिकट दिलवाने पर अपनी तरफ से ताकत लगाई। बीते वर्ष के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जेजेपी की ओर से ही सबसे ज्यादा युवा उतारे गए जिनमें इनसो के प्रभारी रणधीर सिंह चीका और प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप देशवाल भी शामिल थे।

हरियाणा की राजनीति के जानकारों का मानना है जननायक जनता पार्टी की लोगों के बीच में लोकप्रियता और गठन के पहले की साल में उल्लेखनीय कामयाबी हासिल कर दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनवाने में पार्टी की युवा टीम और छात्र इकाई का महत्वपूर्ण योगदान है। बीते दिनों जींद में हुई इनसो की अहम बैठक में दिग्विजय चौटाला ने दुष्यंत से लाल किले पर झंडा फहरवाने यानी उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने का आह्वान अपने साथियों से किया है। ये अब राजनीतिक टीकाकारों की नजर में है कि युवाओं की यह फौज देश की राजनीति में अपना बड़ा दखल कब दिखाएगी।

दिग्विजय चौटाला ने इनैलो से अलग होने के बाद जेजेपी के गठन के तुरंत बाद जींद के उपचुनाव व फिर लोकसभा के चुनावों में सोनीपत से लड़ योद्धा की भूमिका दिखाई। जींद में जहां कांग्रेस के दिग्गज रणदीप सिंह सुरजेवाला ने चुनाव लड़े वहीं सोनीपत से पूर्व  मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा उम्मीदवार रहे।

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