दिल्ली में ‘गाली’ हरियाणा में सुहाली, पानी के मुद्दे पर साधे रखी चुप्पी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 26 Mar, 2018 11:35 AM

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दिल्ली के सी.एम. अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश में सफल रैली से आने वाले विधानसभा चुनावों में तीनों प्रमुख दलों की परेशानी बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं। इस रैली में केजरीवाल ने जहां कांग्रेस और भाजपा पर जमकर निशाना साधा वहीं इनेलो के प्रति उनके तेवर ज्यादा...

अम्बाला(ब्यूरो):  दिल्ली के सी.एम. अरविंद केजरीवाल ने प्रदेश में सफल रैली से आने वाले विधानसभा चुनावों में तीनों प्रमुख दलों की परेशानी बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं। इस रैली में केजरीवाल ने जहां कांग्रेस और भाजपा पर जमकर निशाना साधा वहीं इनेलो के प्रति उनके तेवर ज्यादा गर्म नहीं दिखाए दिए। दिल्ली में पानी की कमी को लेकर हरियाणा को कोसने वाले केजरीवाल ने रैली में पानी के मुद्दे को छुआ तक नहीं। 

पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद ने हिसार रैली को सफल बनाने के लिए कई दिनों से जिस तरह से पसीना बहाना शुरू किया हुआ था, वह भीड़ के हिसाब से व्यर्थ साबित नहीं हुआ। पार्टी की पहली प्रदेश स्तरीय रैली में अच्छी भीड़ जुटाकर ‘टीम केजरीवाल’ ने हरियाणा के तीनों प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस और इनेलो के लिए खतरे की घंटी बजाने का काम कर दिया। केजरीवाल ने रैली में यह साफ कर दिया है कि पार्टी प्रदेश की सभी 90 सीटों पर विधानसभा चुनाव लडऩे जा रही है। केजरीवाल के निशाने पर कांग्रेस और भाजपा ज्यादा रहे जबकि गोपाल राय व नवीन जयहिंद ने ‘सी.बी.आई.’ यानी कांग्रेस, भाजपा और इनेलो तीनों दलों पर निशाना साधा। 

जातिगत समीकरण बनाने के लिए उन्होंने जाट-गैर जाट मुद्दे को पूरी हवा देने का काम किया है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वायदा कर केजरीवाल ने किसानों को ‘आप’ की ओर खींचने का प्रयास किया। उन्होंने भाजपा की भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर भी जमकर सवाल उठाते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा। केजरीवाल ने खुद रैली को सफल बनाने के लिए दिल्ली से ही तैयारियां की हुई थीं। हरियाणा के लोगों को केजरीवाल की आवाज में मोबाइल फोन पर रैली के लिए आमंत्रित किया जा रहा था। 

सबसे बड़ी बात यह रही कि एक दिन पूर्व ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों ने राजभवन के बाहर हरियाणा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। विधायकों का आरोप था कि हरियाणा के कारण दिल्ली को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा जिससे दिल्ली के लोग पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं। चूंकि हरियाणा पहले ही पानी की कमी का शिकार बना हुआ है इसलिए केजरीवाल ने पानी के मुद्दे को छुआ तक नहीं। अगर केजरीवाल ऐसा करते तो उन्हें रैली में ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता था। 

प्रदेश में पानी का मुद्दा सभी पाॢटयों की ओर से प्रमुखता से उठाया जाता रहा है। अगर चुनावों से पहले एस.वाई.एल. पर कुछ नहीं हुआ तो इस बार विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा प्रमुखता से उठेगा और भाजपा सीधे विपक्ष के निशाने पर रहेगी। विधानसभा में भी यह मामला जोर-शोर से उठ चुका है। केजरीवाल ने इस मुद्दे से दूर रहना ही उचित समझा। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद ने केजरीवाल की सफल रैली करवाकर यह साबित कर दिया कि वह पूरे प्रदेश में पार्टी संगठन को मजबूत करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। यह रैली दूसरे दलों की चिंता बढ़ाने का काम भी कर गई है।

नवीन जयहिंद, प्रदेशाध्यक्ष आप 
रैली में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया है कि प्रदेश की जनता तीनों दलों से तंग आ चुकी है। वह आम आदमी पार्टी को विकल्प के रूप में देख रही है। अगली सरकार आम आदमी पार्टी की ही होगी।      

सुभाष बराला, प्रदेशाध्यक्ष, बीजेपी
केजरीवाल ने बार-बार बयान बदलकर अपनी विश्वसनियता खो दी है। बयान देकर मुकरना और माफी मांगना उनकी फितरत में शामिल हो चुका है। प्रदेश की जनता ऐसे लोगों को कभी स्वीकार नहीं करेगी।      

अशोक तंवर, प्रदेशाध्यक्ष, कांग्रेस
आम आदमी पार्टी का हरियाणा में कोई वजूद नहीं है। केजरीवाल पानी के मुद्दे पर दोगली राजनीति कर रहे हैं। प्रदेश की जनता उन्हें गले लगाने को तैयार नहीं है।


 

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